उत्कल एक्सप्रेस हादसाः कारण के रूप में ये आया सामने

खतौली/नई दिल्ली। एक तो पटरी पर होता काम, ऊपर से बुलेट ट्रेन दौड़ाने का सपना आंखो में लेते हुए तेज गति से उत्कल एक्सप्रेस को दौड़ाना। विभागीय लापरवाही के चलते ट्रेन का दुर्घटनाग्रस्त होना लाजमी था। जी हां ऐसा ही कुछ उत्कल एक्सप्रेस हादसे के कारणों के रूप में सामने आया है। रेलवे विभाग भी चूक होने की बात को स्वीकार कर रहा है।
विदित हो कि गत दिवस खतौली स्टेशन पर हुए उत्कल एक्सप्रेस हादसे में दो दर्जन से अधिक लोगो की मौत तथा करीब सात दर्जन लोग घायल हो गये। ट्रेन हादसे के कारणों के रूप में जो सामने आया, उसके मुताबिक पटरी पर काम का होना तथा तेज गति से उत्कल एक्सप्रेस कोे दौड़ाया जाना है। जानकारी के अनुसार सुबह से ही पटरियों पर काम हो रहा था, जिसको मद्देनजर रखते हुए आसपास के लोग सुबह से ही सतर्क थे। इसके बावजूद जिस रफ्तार में उत्कल एक्सप्रेस दौड़ी, उससे यह घटना तो होनी ही थी। यदि रेलवे के नियम पर गौर किया जाए तो पटरी पर काम होने की सूरत में ट्रेन को कॉशन यानी सतर्क होने का संदेश दिया दिया जाता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके चलते चालक रफ्तार से उत्कल एक्सप्रेस कोे बढ़ता चला गया। शुरू के चार डिब्बे तो निकल गए, लेकिन पीछे के डिब्बे ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। सबसे अधिक क्षतिग्रस्त कोच एस-2-3-4, पैंट्री कार, बी-1, ए-1 थे।
नियम के मुताबिक ट्रैक मरम्मत के समय ट्रेन को आगाह करने के लिए मौके से काफी दूर पहले ही लाल रंग का कपड़ा भी लगाया जाता है। घटनास्थल पर लाल रंग के कपड़े की झंडी और मरम्मत के काम आने वाली मशीन गवाही दे रही है कि काम तो चल रहा था, लेकिन खतरे के निशान लाल झंडे का इस्तेमाल नहीं हुआ। दुर्घटना के समय ट्रेन 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ रही थी। मरम्मत आदि के समय स्पीड कम करा दी जाती है। इस बाबत प्रशांत कुमार, ADG मेरठ जोन का कहना था कि जिस पटरी पर हादसा हुआ, उस पर काम चल रहा था। वहां अब भी उपकरण और झंडे पड़े हुए हैं। वैसे रेलवे सेफ्टी विभाग ही दुर्घटना की सही वजह बता पाएगा। इधर नीरज गुप्ता, PRO उत्तर रेलवे का कहना था कि पटरी पर काम चल रहा था तो ड्राइवर को कॉशन दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। यह बड़ी लापरवाही है। दुर्घटना के समय ट्रेन 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ रही थी। सामान्य स्थिति में उसे इतनी ही स्पीड में दौड़ना चाहिए, लेकिन मरम्मत आदि के समय स्पीड कम करा दी जाती है। प्रथम दृष्टया लापरवाही प्रतीत हो रही है, जांच में सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी

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