देहरादून। जिला कार्यक्रम अधिकारी व बाल विकास परियोजना अधिकारियों के तबादले मामलें में मंत्री व सचिव आमने-सामने आ गये है। इस मामलें में मंत्री द्वारा जहां उनके बिना अनुमोदन के तबादले की बात कही जा रही है, वहीं प्रमुख सचिव ने विभागीय मंत्री से विचार -विमर्श के बाद ही तबादला किये जाने की बात कही हैं। फिलहाल तबादलांे को निरस्त कर दिया गया है।
मीडिया में चल रही खबरों व महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में चल रही चर्चाओं पर यदि विश्वास किया जाए तो शासन स्तर से उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में तैनात जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) और बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीबीपीओ) की एक तबादला सूची बृहस्पतिवार देर रात जारी हुई। प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी के हस्ताक्षर से जारी इस सूची में कुल आठ अधिकारियों के नाम थे। हैरानी की बात यह है कि विभागीय मंत्री रेखा आर्या, जिनके अनुमोदन से यह सूची जारी होनी चाहिए उन्हें इसकी भनक तक नहीं मिली। शुक्रवार शाम जब उन्हें सूचना मिली तो आनन-फानन में सूची निरस्त कर दी गई।
राज्यमंत्री रेखा आर्य के मुताबिक, मेरे विभागों में आठ अफसरों के तबादले किए गए, जिनका अनुमोदन मेरे स्तर से नहीं हुआ। ऐसे में मैंने इस सूची को निस्तर कर दिया है। नए सिरे से परीक्षण करने के बाद सूची जारी होगी। संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं मामले में प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी का कहना है कि विभागीय मंत्री से विचार-विमर्श किया गया था। इसके बाद ही सूची जारी की गई है। इसमें किसी प्रकार से भ्रम की बात सही नहीं है। बहरहाल तबादले मामलें में मंत्री व सचिव आमने-सामने आ गये है। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में भी मंत्री-सचिव के विरोधाभासी बयानों को लेकर खासी चर्चा है।