उत्तराखंड: इस कारण 13 हजार शिक्षकों की नौकरी पड़ी खतरे में

शिक्षकों ने किया धरना प्रदर्शन
देहरादून। गलती अफसरो की, खामियाजा भुगतेंगे शिक्षक, जी हां यह सच है। उत्तराखंड में अफसरों की गलती की वजह से 13 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गयी है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षकों ने मोर्चा खोलते हुए सोमवार को शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन किया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत अनेकों की संख्या में प्रभावित शिक्षक, शिक्षा निदेशालय में एकत्र हुए, जहां उन्होंने अपनी मांगो को लेकर धरना-प्रदर्शन किया। इस अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने अधिकारियों की कार्यशैली पर गहरा रोष जताया। उनका कहना था कि जब विभाग को मालूम था कि राज्य के विशिष्ट बीटीसी के कोर्स को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता नहीं है, इसके बावजूद विभाग लगातार विशिष्ट बीटीसी कराता रहा और इसके आधार पर शिक्षक भर्ती हुई। अब एनसीटीई ने इस विशिष्ट बीटीसी को खारिज कर दिया है। इस दौरान उन्होंने विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को डीएलएड-ब्रिज कोर्स से मुक्त करने की मांग उठाई।
मालूम हो कि एनसीटीई के विशिष्ट बीटीसी को खारिज कर दिए जाने से ऐसे 13 हजार 175 शिक्षक एक झटके में अप्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में आ गए हैं। यदि निर्धारित समय सीमा में वो एनसीटीई से तय शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं कर पाते तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। विरोध जाहिर करने वालों में जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिह कृषाली, पौड़ी जिलाध्यक्ष मनोज जुगरान, नरेंद्र मैठानी, अशोक उनियाल, सूर्य पैन्यूली, आशुतोष बडोनी, भुवन उनियाल, विपिन उनियाल, मदन सिंह, प्रमोद सिंह कैत्यूरा, अनिल चमोली, नीलम रावत, गीता रानी, राजेंद्र सिंह गुंसाई, वीरेंद्र सिंह भंडारी आदि भी मौजूद रहे।

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