देहरादून/नैनीताल। इसे अजीब सी ही स्थिति कहा जाएगा कि उत्तराखंड में कही तो स्कूलों में शिक्षको का अभाव है, तो कही अधिक संख्या में शिक्षकों की तैनाती विभाग द्वारा की गयी है। इस स्थिति ने सरकार के बच्चों के बेहतर शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के दावों की पोल खोलने के साथ ही शिक्षक संगठनों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिये है।
अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा डॉ. मुकुल कुमार सती शुक्रवार को कालाढूंगी रोड क्षेत्र के दुर्गम स्कूलों के निरीक्षण को निकले। थापला में दस बच्चों पर चार व जलालगांव में हाईस्कूल में 39 बच्चों पर 11 शिक्षक होने पर एडी का पारा चढ़ गया। उन्होंने मौके से ही मुख्य शिक्षा अधिकारी को मानकों से अधिक शिक्षकों को अन्यत्र समायोजित करने के निर्देश दे डाले। जीजीआइसी खुर्पाताल की कक्षाओं में शिक्षिकाओं के न होने तथा शिक्षकों के पास शिक्षक डायरी नहीं होने पर प्रधानाचार्य को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने प्रधानाचार्य को मोहल्लत देते हुए पठन-पाठन में सुधार लाने की हिदायत दी। इस विद्यालय में 109 बच्चों पर प्रवक्ता समेत 11 एलटी शिक्षक कार्यरत हैं।
जीआइसी मंगोली का निरीक्षण किया तो प्रयोगशाला व पुस्तकालय बंद पड़ा था। इस पर उन्होंने प्रधानाचार्य की जमकर खबर लेते हुए व्यवस्था में सुधार करने की हिदायत दी। मंगोली में 32 बच्चों पर एक ही शिक्षिका कार्यरत थी तो उन्होंने एक और शिक्षक की तैनाती के लिए जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक को निर्देश दिए। हाईस्कूल खुर्पाताल, प्रावि जलालगांव का निरीक्षण करते हुए विद्यालय के ऊपर से हाईवोल्टेज तार हटाने के लिए ऊर्जा निगम को पत्र भेजा। निरीक्षण में प्रधानाचार्य बंशीधर अंडोला, जगमोहन रौतेला, लता पांडे, बहादुर सिंह रावत, रमेश पांडे थे। इस स्थिति ने सरकार के बच्चों के बेहतर शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के दावों की पोल खोलने के साथ ही शिक्षक संगठनों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिये है।