देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बजट सत्र के दूसरे दिन भी सदन में गैरसैंण विधानसभा में बजट सत्र न बुलाने का मुद्दा छाया रहा। विपक्ष ने गैरसैंण में सत्र चालने को लेकर सरकार को घेरा।
नियम 58 के तहत नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि सदन के पारित संकल्प के तहत गैरसैंण में सत्र आयोजित नहीं किया गया। आज तक भी ये जानकारी नहीं दी है कि गैरसैंण स्थाई राजधानी होगी या अस्थाई होगी। बयान आए कि वहां सुविधाएं नही हैं, जबकि वहां सभी सुविधाएं हैं। ये साफ करता हैं कि सरकार की मंशा नहीं वह सत्र करने की। सरकार ने गैरसैंण में विकास के लिए सरकार ने क्या प्रवधान किए इसका भी उल्लेख नहीं है। सरकार ये भी स्पष्ट करे की गैरसैंण में कभी सत्र होगा भी की नहीं। कुंजवाल ने कहा कि सदन में पारित संकल्प पर भी फैसला नहीं ले पा रही सरकार। गैरसैंण में टेंट में भी सत्र चला। निर्माणाधीन भवन में भी सत्र चला, लेकिन अब सरकार वहां जाना नहीं चाहती। सदन पारित प्रस्ताव की अवमानना हुई है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि गैरसैंण राज्य के लिए हमारी आस्था से जुड़ा है। वही यह भी सही है सदन नियमों के तहत चलता है। पूर्ववर्ती सरकार ने गैरसैंण में सत्र तो आयोजित किये, लेकिन वह विकास नहीं कर पाई। सत्र केवल सदन परिसर में ही हो सकता हैं। उन्होंने नियम 3 ब का हवाला दिया। कहा इसके लिए नियमों में बदलाव करना होगा। शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान सरकार ने कहा अगर चीनी मिले गन्ना किसानों का बकाया नहीं करेगी तो हमारे पास अन्य अधिकार है। इसके साथ ही विकासनगर विधायक प्रीतम सिंह ने 19 अप्रैल को गुम्मा हिमाचल में हुई बस दुर्घटना को सदन में उठाया। धनौल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार के कृषि को उद्योग का दर्जा दिए जाने के सवाल पर सरकार से दिए उत्तर पर कृषि मंत्री उलझ गए। कृषि मंत्री ने जवाब दिया उद्योग और कृषि दोनों अलग अर्थव्यवस्था हैं। कृषि क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में सब्सिडी दी जाती है। इसलिए कृषि को उद्योग का दर्जा नहीं दिया जा सकता।