देहरादून। बजट सत्र के पहले दिन उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास पर कालिख पुतते-पुतते बच गयी। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के चलते विधायकों में हाथापाई की नौबत आ गयी, लेकिन मंत्रियों व बड़े नेताओं ने बीचबचाव कर मामला संभाल लिया। इसकी शुरुआत झबरेड़ा के विधायक देशराज कर्णवाल की एक टिप्पणी से हुई। हालांकि उस वक्त सदन की कार्यवाही स्थगित चल रही थी, लेकिन विधायकगण सदन के भीतर ही मौजूद थे। हुआ यूं कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष ने एनएच घोटाले पर नियम 310 के तहत र्चचा कराने का प्रस्ताव रखा। प्रश्नकाल रोक कर विपक्ष ने इस पर र्चचा की मांग की। इसी बीच देशराज कर्णवाल विपक्ष पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाने लगे। स्पीकर कर्णवाल को कई बार बैठने को कहते रहे, लेकिन वे टोकाटाकी करते रहे। उनका कहना था कि प्रश्नकाल में दलितों के हितों से संबंधित प्रश्न हैं, इसलिए प्रश्नकाल होने दें। विपक्ष के विरोध को देखते हुए सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान ज्यादातर विधायक सदन के भीतर ही मौजूद रहे। कर्णवाल उसके बाद भी कांग्रेसी विधायकों को दलित विरोधी बताते रहे। इसी बीच उन्होंने प्रीतम सिंह का नाम लेकर कोई टिप्पणी कर दी। इसका हरीश धामी ने प्रतिवाद किया। कर्णवाल फिर भी चुप नहीं हुए। शोरगुल के बीच उन्होंने कुछ और टिप्पणी कर दी। इसके बाद धामी व करन मेहरा गुस्से में कर्णवाल की सीट के पास पहुंच गये। माहौल काफी उत्तेजक हो गया। शोरगुल के बीच किसी ने गाली भी दे दी, तो माहौल बिगड़ गया। विधायकों के बीच हाथापाई जैसी नौबत आने पर मदन कौशिक, अरविंद पांडे व कुछ अन्य विधायकों ने बीचबचाव कर मामले को संभाला।