रुड़की/देहरादून। राॅयल बहाना का रूप है, समस्या ही ऐसी थी, समय ही ऐसा था, परिस्थिति ही ऐसी थी। क्या करें, कोई भी होता तब ऐसी परिस्थिति में यही करता। लेकिन अपनी कारण देने का अर्थ है कि अपने को कारागार में दाखिल कर लेना। जब तक हम अपनी जिम्मेदारी नहीं स्वीकार करते हैं तब तक हमारे भीतर परिवर्तन नहीं हो सकता है। परिवर्तन लाने के लिए हमें अपने कमजोरी को एक्सेप्ट करना होगा फिर इसमें चेंज करना होगा।
अब कारण सुनने का बहुत समय नहीं रहा है। क्योंकि हम बहुत समय से अपने सफलता को छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते रहे हैं अथवा कारण खोजते रहे हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि अपने कार्य को प्रत्यक्ष में सबके सामने लाना है न कि बहाने के रूप में कारण खोजना है। अन्यथा आगे हम अनुभव करेंगे कि एक भूल के लिए हमें सौ गुना दण्ड भुगतना होगा। आने वाले समय में तो इस दण्ड का फल प्रत्यक्ष में अनुभव होगा।
यदि हम अपनी स्थिति आकर्षक और पावरफुल न रखें तब हमारी ही रचना हमारे सामने विकराल रूप धारण करके सामने आयेगी। इसलिए फुल माक्र्स लेने के लिए दोष रहित, निर्दोष युक्त और बेदाग अर्थात फ्लोलेस रहना है। फुल माक्र्स लेने की स्टेज पर स्थित होने से हम फेल होने से बच जायेंगे।
फेल होने से बचने के लिए हमें सजग रहना होगा। सजग रहने के लिए हमें बचपन की भूलें, आलस्य की भूलें, लापरवाही की भूलें और बेपरवाही की भूलें से बचना होगा। क्योंकि हमारी भूलें हमको कमजोर बनाती हैं। इसलिए अपने पावरफुल स्टेज की ज्योति से अपने को प्रत्यक्ष करना है।
अपने कार्य को सफल करने के लिए अंतिम सीटी बज चुकी है। इसलिए अब फाइनल पेपर देने के लिए तैयार हो जायें। अपने तैयारियों में सम्पूर्णता को समीप लाना है और समस्या को दूर भगाना है। लेकिन हमारी आदत है कि हम समस्या को अपने समीप रख लेते हैं। समस्या का सामना करने से समस्याऐं समाप्त हो जाती हैं। यदि सामना करना नहीं आता है तब एक ही समस्या अनेक समस्या के रूप में सामने आती है। अंश रहता है तब वंश भी रहता है, अंश को समाप्त कर दें तब वंश भी समाप्त हो जाता है।
अर्थात समस्या का बर्थ कन्ट्रोल करना है। जैसे साइंस की शक्ति से आजकल विभिन्न खोज से गुप्त चीजें भी प्रकट हो जाती हैं, वैसे ही साइलेंस की शक्ति से हमारा कार्य भी प्रत्यक्ष हो जायेगा। लेकिन नाजुक समय को पहचानते हुए हमें अपने नाजुकपना का छोड़ना होगा, तभी हम नाजुक समय का सामना कर सकते हैं।
फुल माक्र्स लेने का उदाहरण सेट करके हमें दूसरों के लिए उदाहरण बन जाना है। हर व्यक्ति की कार्य क्षमता अलग-अलग होती है। हर व्यक्ति की लाईट, माईट और राईट अलग-अलग होता है। राईट के दो अर्थ हैं, यर्थात और अधिकार। हम जितने यर्थात रूप में होंगे उतना ही अधिकारी-पन का अनुभव करेंगे। अन्दर की शक्ति और वीरता का गुण रखकर आगे इस प्रकार बढ़े कि आने वाली बुराई, आसुरी प्रवृत्ति हमारे सामने आने की हिम्मत न कर सकें। इसलिए चेक करें कि कहीं हम बुराई के प्रति आकर्षित तो नहीं हो रहे हैं।
फुल माक्र्स लेने के लिए हमें एक्स्ट्रा मदद की जरूरत होती है। ईश्वर को साथी बनाने से हमें एक्स्ट्रा मदद मिल जाती है। ईश्वर को साथी बनाते ही हम दुनियां के आकर्षण से मुक्त हो जाते हैं, इसलिए हमारे सामने समस्या भी आने से घबराती हैं। अपने को कभी अकेला न समझें। ईश्वर को साथ में रखने से अकेलेपन का भय समाप्त हो जाता हैं।
मनोज श्रीवास्तव,
प्रभारी मीडिया सेंटर
विधानसभा देहरादून