देहरादून। दून अस्पताल को फिर से जिला अस्पताल बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। दून अस्पताल बचाओ संघर्ष समिति इसके लिए आर-पार का संघर्ष करने का मन बना रही है। समिति ने आंदोलन करने के लिए बकायदा संयोजक मंडल भी गठित कर लिया है। संयोजक मंडल के पदाधिकारी पहले चरण में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे। दरअसल, मेडिकल कालेज का टीचिंग अस्पताल बनने से पहले दून अस्पताल का अस्तित्व जिला अस्पताल के तौर पर था लेकिन मेडिकल कालेज बनने के बाद दून अस्पताल के जिला अस्पताल का अस्तित्व ही खत्म हो गया। इस दौरान राज्य सरकार ने ना ही किसी अन्य अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिया है और ना ही किसी अन्य स्थान पर जिला अस्पताल बनाने की घोषणा की है। ऐसे में दून अस्पताल बचाओ संघर्ष समिति आंदोलन के मूड में है। समिति की बैठक बुधवार को दून अस्पताल के सभागार में हुई। बैठक में पदाधिकारियों का कहना था कि दून अस्पताल की जिला अस्पताल के तौर पर पहचान रही है। जिसका मेडिकल कालेज बनने के बाद अस्तित्व ही नहीं बचा है। उन्होंने मांग की है कि अस्पताल को पुराने स्वरूप में लाया जाए। मेडिकल कालेज का टीचिंग अस्पताल अन्यत्र बनाया जाए। जब तक मेडिकल कालेज अलग नहीं बनता, तब तक अस्पताल की नर्स, कर्मचारी, फार्मासिस्ट आदि को इधर-उधर न भेजा जाए। स्वास्य व चिकित्सा विभाग का एकीकरण करने की मांग भी समिति ने की है। संयोजक मंडल के सचिव सुभाष शर्मा ने बताया कि आंदोलन से पहले राजपुर विस क्षेत्र के विधायक खजानदास से मुलाकात की जाएगी। इसके बाद विधायक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी बात रखेगा। यदि राज्य सरकार समिति की मांग नहीं मानती है तो आंदोलन का रूख अख्तियार किया जायेगा। संयोजक मंडल का मुख्य संयोजक बीएस पयाल को बनाया गया है। साथ ही मनवर सिंह नेगी, राकेश रावत, बीएस बिष्ट, सुधा कुकरेती, संदीप गुप्ता, सुनील भारद्वाज, मीनाक्षी आदि को संयोजक मंडल में शामिल किया गया है।