जड़ी बूटियों की खेती परंपरागत खेती की तुलना में अधिक लाभदायक

देहरादून। पिछले दो दशकोे से मानव का रुझान पुनः प्राकृतिक जड़ी बूटियों की ओर बढ़ा है तथा वह अपने रोगों के निवारण के लिए अधिक से अधिक औषधीय पौधों का उपयोग करने लगा है। जिसके कारण औषधीय पौधों की मांग में गुणात्मक वृद्धि हुई है, जिसको केवल वनों से संग्रहित कर पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए आवश्यकता है कि इन जड़ी बूटियों की खेती की जाए। इन जड़ी बूटियों की खेती परंपरागत खेती की तुलना में अधिक लाभदायक है।
औषधीय पौधों के साथ साथ खाद्य एवं औषधीय मशरूम की खेती का भी प्रचलन बढ़ा है तथा किसान अपने खेत में औषधीय पौधों को उगाने के साथ ही मशरूम उत्पादन के लिए भी उद्यत रहते हैं। लेकिन उचित वैज्ञानिक तकनीक के अभाव में वांछित उत्पादन प्राप्त नहीं कर पाते हैं, जिससे सही आमदनी नहीं हो पाती है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा प्रदर्शन ग्राम श्यामपुर, देहरादून में किसानों, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों एवं छात्रों को औषधीय पौधों एवं मशरूम की खेती एवं उपयोगिता पर तकनीकी जानकारी देने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज से शुरू हो गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन विस्तार प्रभाग के प्रमुख डा0 ए.के. पाण्डेय द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड औषधीय पौधों के लिए जाना जाता है तथा यहां उगाए जाने वाले औषधीय पौधे जैसे, कुथ, कुटकी, जटामांसी, चिरायता व किल्मोड़ा आदि की भारी मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए किसानों को अपने खेतों में इन औषधीय पौधों की खेती करनी चाहिए। जिसके द्वारा वे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। सरकार इन पौधों की खेती लिए लागत दर में रियायत भी प्रदान करती है।
उन्होंने बताया कि मशरूम का उत्पादन कर भी किसान अपनी आमदनी बढ़ाकर अपनी जीविका में सुधार कर सकते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित वन परिरक्षण प्रभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 अमित पाण्डेय ने बताया कि खाद्य मशरूम के अलावा किसान संस्थान की तकनीक को अपनाकर औषधीय मशरूम ‘‘गेनोडर्मा लयूसिडम’’ की खेती करके भी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। विस्तार प्रभाग के वैज्ञानिक डा0 चरण सिंह ने प्रदर्शन ग्राम के उद्भव एवं भूमिका के बारे में प्रकाश डाला। इस अवसर पर बागवान, ग्रामोद्योग समिति की समन्वयक श्रीमती उमा खण्डूरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में रामबीर सिंह, वैज्ञानिक विस्तार प्रभाग ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर डा0 देवेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक, अजय गुलाटी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी एवं विजय कुमार, सहायक वन संरक्षक उपस्थित रहे।

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