देहरादून। पूर्व CM हरीश रावत ने प्रदेश सरकार के सौ दिनों पर हमला बोला है। उन्होंने प्रदेश सरकार के सौ दिनों में 110 निर्णयों को जनविरोधी बताते हुए इसकी सूची जारी की है। उन्होंने सरकार से इन निर्णयों पर पुनर्विचार करने की अपेक्षा भी की है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बयान जारी कर सरकार को निशाने पर लिया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि वे यह चाहते थे कि सरकार के कार्यो के आकलन के लिए एक वर्ष तक का समय दिया जाना चाहिए। लगातार जनविरोधी निर्णय लेने के कारण उनकी जिम्मेदारी एक कार्यकर्ता के रूप में सरकार को सतर्क करने की भी है। ऐसे में वे 110 जनविरोधी निर्णयों की सूची जारी कर रहे हैं। उन्होंने अपेक्षा की कि सरकार इन निर्णयों पर पुनर्विचार करेगी।
उन्होंने अपने बिंदुओं में गैरसैंण में विधानसभा का सत्र न कराने, चारधाम यात्रा के दौरान बदरीनाथ, केदारनाथ मंदिर समिति को भंग करने, चमोली व रुद्रप्रयाग जैसे संवेदनशील जिलों में यात्रा के दौरान जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण, राज्य के लिए चयनित हवाई सेवा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी का अनुबंध एकतरफा समाप्त करने, चारधाम यात्रा प्रबंधन में अनियमितताओं, ऑल वेदर रोड के निर्माण के नाम पर देश व दुनिया को यह संदेश देना कि उत्तराखंड की सड़कें खतरनाक हैं, वर्ष 2017 के बजट भाषण में बागवानी, जड़ी-बूटी, ग्राम विकास बजट में 17 प्रतिशत की गिरावट, मेरा गाव, मेरी सड़क योजना का अवमूल्यन, दलित, अल्पसंख्यक कल्याण,जनजाति अतिपिछड़ा वर्ग का उल्लेख न होने के अलावा बिजली व पानी के दाम में बढ़ोतरी तथा किसान आत्महत्या के मामलों पर सरकार को घेरा है। इसके अलावा उनके कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं को बदलने पर भी आपत्ति जताई है।