देहरादून। शिक्षा मंत्री के आदेश के बावजूद शनिवार को शिक्षक ड्रेस कोड में नजर नहीं आए। राज्य में शिक्षकों ने ड्रेस कोड मानने से साफ इन्कार कर दिया है। इस बावत विभिन्न शिक्षक संगठनों का तर्क है कि शिक्षा मंत्री पहले सभी संगठनों की संयुक्त बैठक बुलाएं और उनकी लंबित समस्याओं के समाधान का आश्वासन दें, तभी ड्रेस कोड पर विचार किया जाएगा।
प्रदेश में राजकीय शिक्षक संघ, प्रांतीय प्राथमिक शिक्षक संघ व प्रांतीय जूनियर शिक्षक संघ में करीब 71 हजार शिक्षक हैं। ये तीनों संगठन ड्रेस कोड के खिलाफ हैं। केवल प्रांतीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री के आदेश को स्वीकार किया है। संगठनों का यह भी कहना है कि शिक्षा निदेशक से लेकर स्कूल में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक ड्रेस कोड लागू हो और शिक्षकों को ड्रेस का भत्ता भी दिया जाए। शिक्षकों का कहना है कि बिना किसी शासनादेश के उन पर ड्रेस कोड थोपा जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है। अगर प्रदेश सरकार इसे शिक्षा नीति के तहत लाती तो वह इसका स्वागत करते, लेकिन शिक्षा मंत्री के मौखिक बयान के आधार पर ड्रेस कोड लागू नहीं किया जा सकता।
जानिये किसने क्या कहा
पहले लंबित मांगों पर विचार हो। सरकार ट्रांसफर एक्ट व एसीपी का लाभ सुनिश्चित करे। जबदस्ती थोपे जाने वाले ड्रेस कोड को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
-राम सिंह चौहान, अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ
———————–
किसी प्रकार का ड्रेस कोड लागू नहीं किया जाना चाहिए। सरकार शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाए और उसमें उनका पक्ष जानने के बाद कोई निर्णय ले। मौखिक आदेश केवल मीडिया के माध्यम से उछाले जा रहे हैं।
-दिग्विजय चौहान, महासचिव, प्राथमिक शिक्षक संघ
————————
शिक्षा मंत्री पहले बैठक बुलाएं और तय करें कि कौन-सी ड्रेस लागू की जाएगी। इससे पहले जूनियर शिक्षकों को पदोन्नति दी जाए और स्थानांतरण नीति बनाए। शिक्षा निदेशक व मंत्री से दो बार मिलने का समय मांगा गया, लेकिन उन्होंने मुलाकात नहीं की। शिक्षक मौखिक आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। 2006 के बाद के शिक्षकों को भी नए वेतनमान का लाभ दिया जाए।
-सुभाष चौहान, अध्यक्ष, प्रांतीय जूनियर शिक्षक संघ
————————
शिक्षा मंत्री की पहल का प्रधानाचार्य स्वागत करते हैं। शनिवार को स्कूल खुलने पर सभी प्रधानाचार्य तय ड्रेस में ही स्कूल पहुंचे। इससे स्कूलों में अनुशासन बनेगा।
-सुरेंद्र बिष्ट, अध्यक्ष, प्रांतीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन