देहरादून। उत्तराखंड की सैन्य विरासत के कई सुनहरे अध्याय हैं, जो न सिर्फ युवा पीढ़ी में जोश भरती है बल्कि जिंदादिली के साथ जीने का जज्बा भी देती है। ऐसा ही एक उदाहरण हैं गढ़ी कैंट निवासी 99 वर्षीय रिटायर्ड ऑनरेरी कैप्टन पीबी थापा। 11 गोर्खा राइफल्स से सेवानिवृत्त कैप्टन थापा एक जीवित विरासत व दून के सैन्य लोकाचार का अभिन्न अंग हैं। जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में जंगी एनएम से नवाजा गया। उत्तराखंड में इस तरह के पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में वह अकेले जीवित व्यक्ति हैं। देहरादून एक्स-सर्विसेज लीग ने रविवार को उन्हें सम्मानित किया।
कैप्टन थापा ने 1937 में क्वेटा पाकिस्तान में 2/7 जीआर ज्वाइन की। उन्हें इराक, ईरान, ग्रीस और अफ्रीका में भी सेवा का अवसर मिला। उन्होंने जनरल रामेल के नेतृत्व में द्वितीय विश्वयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई। आजादी के तुरंत बाद वह 3/11 जीआर और फिर 5/11 जीआर में शामिल हुए। द्वितीय विश्व युद्ध में जंगी एनएम के अलावा उन्हें अफ्रीकी स्टार मेडल, इटली वार मेडल से सम्मानित किया गया था और वह 1962 में भारत चीन युद्ध और 1965 में भारत-पाक युद्ध में भाग ले चुके हैं। उनके अलावा परिवार के कई और लोग भी सैन्य सेवा में ऊंचे ओहदों तक पहुंचे हैं। हाल में उनके बेटे रिटायर्ड कैप्टन आरएस थापा, गोविंद और बहु सुनीता और कविता उनकी देखरेख कर रहे हैं। रविवार को देहरादून एक्स-सर्विसेज लीग के सदस्यों ने कैप्टन थापा के घर जाकर उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान लीग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल बीएम थापा, सदस्य रिटायर्ड कर्नल एसएस थापा सहित परिवार के कई और लोग उपस्थित थे।