देहरादून। जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन एजेन्सी श्रप्ब्।द्ध द्वारा उत्तराखण्ड के वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली क्षति, विशेषकर वन क्षेत्रों में लैण्डस्लाइड्स के उपचार हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करने पर सहमति हुई है। इस संबंध में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में बैठक हुई। श्री अनूप मलिक, मुख्य परियोजना निदेशक, जायका परियोजना ने जापान से आये विशेषज्ञों शिन्गो किटौरा तथा सुश्री साओरी मियाजिमा का परिचय कराते हुए तकनीकी सहायता परियोजना के विषय में जानकारी दी। बैठक में श्री राजेन्द्र महाजन, प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड, श्री मोनीष मलिक, प्रमुख वन संरक्षक मानव संसाधन वन विभाग तथा श्री एस0एम0 जोशी, परियोजना निदेशक, जायका परियोजना ने प्रतिभाग किया। बताया गया कि माह जून 2013 में उत्तराखण्ड में आयी भीषण आपदा के बाद श्रप्ब्। परियोजना में वन क्षेत्रों में लैण्डस्लाइड्स के उपचार संबंधी कम्पोनेन्ट शामिल किया गया था, जिसमें छोटी लैण्डस्लाइड्स का उपचार विभागीय स्तर पर किया जाना था। बड़ी लैण्डस्लाइड्स, जिसमें विशेष तकनीकी इनपुट की आवश्यकता है, के उपचार के लिए विशेषज्ञ तकनीकी सलाहकारों की सेवाऐं ली जानी थी। अन्तरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों एवं तकनीकी सलाहकारों के चयन के लिए प्रयास किये गये परन्तु उपयुक्त से प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए। इस संबंध श्रप्ब्। से विचारविमर्श के उपरान्त एक नयी ‘तकनीकी सहायता परियोजना’ हेतु जापान से अनुरोध किया गया। मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन, जायका के भारत में मुख्य प्रतिनिधि तथा मुख्य परियोजना निदेशक द्वारा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये। इस नयी परियोजना में जापान अपने विशेषज्ञों को भेजकर वन क्षेत्रों में लैण्डस्लाइड्स के उपचार कार्य का नियोजन तथा तकनीकी डिजाइन तैयार करने के साथसाथ वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी देगा। इसके अतिरिक्त जायका द्वारा 04 चिन्हित लैण्डस्लाइड्स के उपचार के लिए तकनीकी डिजाइन तैयार किये जाएंगे तथा निर्माण एवं उपचार कार्य के लिए आवश्यक मशीनरी तथा उपकरण भी उपलब्ध कराये जायेंगे। बाद में विभिन्न विभागों एवं अन्य हिमालयी राज्यों को भी इन तकनीकों को स्थानान्तरित किया जायेगा। इस परियोजना का व्यय जापान द्वारा शत प्रतिशत अनुदान के रूप में वहन किया जाएगा। राज्य सरकार अथवा भारत सरकार को इन मदों में कोई व्यय वहन नहीं करना है। तकनीकी सहायता परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए वन विभाग द्वारा 03 ज्ंेा ज्मंउ बनायी जाएंगी, जिसके लिए वन संरक्षक स्तर के एक अपर परियोजना निदेशक, प्रभागीय वनाधिकारी स्तर के ज्ंेा डंदंहमत के साथसाथ उप प्रभागीय वनाधिकारी, रेंज अधिकारी तथा उप वन रेंजर तथा वन दरोगा स्तर के अधिकारियों की तैनाती की जानी है। इसके अतिरिक्त अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में एक संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड, मुख्य परियोजना निदेशक, जायका के विशेषज्ञ, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार के प्रतिनिधि तथा भारत में जायका मुख्यालय के प्रतिनिधि इस समिति के सदस्य होगें। मुख्य सचिव ने प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिया कि टास्क टीम का गठन 15 दिन में कर लिया जाए। जापान से 02 प्रकार के विशेषज्ञ इस परियोजना में कार्य करेंगे। लम्बी अवधि के विशेषज्ञों द्वारा अपना योगदान दे दिया गया है तथा अल्प अवधि के विशेषज्ञों द्वारा भी आवश्यकतानुसार समयसमय पर अपना योगदान दिया जायेगा, जो विशेष रूप फील्ड सर्वे, लैण्डस्लाइड्स के उपचार हेतु तकनीकी डिजाइन तैयार करने, विभिन्न इंजीनियरिंग कार्यों का प्राक्कलन तैयार करने, इन कार्यों के लिए उपयुक्त फर्मों के चयन तथा फील्ड कार्यों का पर्यवेक्षण आदि का कार्य करेंगे। मुख्य सचिव ने टास्क टीम में नये अधिकारियों को रखने पर बल दिया ताकि वे मिशन भावना से कार्य करें तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त लैण्डस्लाइड्स के प्रबन्धन के कार्यों में विशेषज्ञता प्राप्त करने के उपरान्त लम्बे समय तक इस क्षेत्र में विभाग को अपनी सेवाऐं देते रहें तथा अन्य अधिकारियों/कार्मिकों को भी प्रशिक्षित कर सकें। संयुक्त समन्वय समिति में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियन्ता, बी0आर0ओ0 के मुख्य अभियन्ता तथा राज्य के आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा। जापान से आये विशेषज्ञ श्री शिन्गो कितौरा ने तकनीकी सहायता परियोजना टीम तथा उत्तराखण्ड सरकार के मध्य लगातार समन्वय की आवश्यकता बताई तथा परियोजना के सफल कार्यान्वयन की आशा व्यक्त की।