देहरादून। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा है कि शिक्षकों के ट्रांसफर रोकने के पीछे कोटिकरण भी एक बड़ा कारण है। उनका कहना है कि स्कूलों के कोटिकरण में गड़बड़ी की वजह से वास्तविक जरूरतमंद शिक्षकों को फायदा नहीं मिल पाएगा। फिलहाल तबादलों पर पुनर्विचार की कोई संभावना नहीं दिख रही है। तबादले रद्द करने से शिक्षक संघों ने कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है। दो दिन पहले शिक्षा मंत्री स्थानान्तरण सत्र को यह कहते हुए शून्य घोषित कर दिया था कि तबादला मांगने वाले शिक्षक/शिक्षिकाओं ने बड़े पैमाने पर झूठे कारण गिनाए हैं। इसकी वजह से तबादले नहीं किये जाएंगे। इस बीच शिक्षक संघों के दबाव के चलते यह खबर आयी कि तबादलों के मामले पर पुनर्विचार किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि हम जिन जरूरतमंद शिक्षकों व दुर्गम में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके शिक्षकों को सुगम में लाना चाहते थे, वह नहीं हो पा रहा है। इसमें कोटिकरण सबसे बड़ी दिक्कत बनी है। अधिकारियों ने मनमाने तरीके से कोटिकरण कराये, जिससे शिक्षकों की दुर्गम की सेवाओं का सही मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक दुर्गम में सेवाएं दे चुके शिक्षक गलत कोटिकरण की वजह से सुगम में आने से वंचित हो रहे थे। इसलिए हमने फैसला लिया है कि कोटिकरण का पहले ठीक परीक्षण करा लिया जाए। ताकि जरूरतमंद लोगों को सही तरीके से लाभ मिल सके। कोटिकरण के लिए एक उच्चाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी भी बना दी गयी है। यह कमेटी कोटिकरण से संबंधित शिकायतों का परीक्षण करेगी। उन्होंने बताया कि अनुरोध के आधार पर कई शिक्षकों ने गलत तय पेश करके तबादले कराने की कोशिश की थी। इसलिए तत्काल इसे रोकने का निर्णय लिया गया। तबादलों के रद्द फैसले पर पुनर्विचार की संभावना पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।