देहरादून। देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण को अगले साल सितंबर यानी सितंबर 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस रेल लाइन के निर्माण की कवायद फिर से शुरू हो गयी है। पहले रेल विकास निगम ने इस काम को स्थगित कर दिया था। सचिवालय में मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में देवबंद रुड़की रेल लाइन के लिए भू-अधिग्रहण और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के बारे में बैठक की। 170 करोड़ रपए की लागत से बनने वाली देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण में 51 हेक्टेयर भूमि आएगी। इसमें पांच गांव से गुजरने वाली 11 किलोमीटर लाइन उत्तराखंड की सीमा में आएगी। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिलाधिकारी हरिद्वार की अध्यक्षता में समन्वय समिति बनाई जाए। राजस्व, वन, बिजली, जल संस्थान, लोनिवि, उद्यान आदि विभागों के साथ संयुक्त निरीक्षण कर टाइम फ्रेम जारी किया जाए। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के प्रगति के समीक्षा की गई। फॉरेस्ट क्लियरेंस और भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। इस माह के अंत तक क्षतिपूर्ति की धनराशि रेल निर्माण निगम को जमा करने के लिए कहा गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लगभग 126 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 12 स्टेशन, 17 सुरंग, 36 पुल बनेंगे। इससे टिहरी, पौडी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली जिले के लोगों को लाभ होगा। रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा रेल मार्ग, सुरंग आदि का व्यापक सव्रेक्षण कर लिया गया है। ऋषिकेश में पुल बनाने के लिए एलटी(लो टेंशन) लाइन को डायवर्ट किया जाना है। पिटकुल की एचटी (हाई टेंशन) को डायवर्ट करने के लिए फरेस्ट क्लियरेंस लेना है। जल संस्थान की एक सीवर लाइन औरतीन वाटर सप्लाई लाइन को शिफ्ट किया जाना है। इसके साथ ही वन रेंज ऑफिस ऋषिकेश को भी शिफ्ट किया जाना है। भू-अधिग्रहण के लिए हुए प्रशासकीय व्यय के रूप में 5 करोड रपए टिहरी, पौडी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों को दिए गए हैं। भवन आदि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन लोनिवि से कराया जा रहा है। बैठक में सचिव परिवहन डी सेंथिल पांडियन, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुघ, सचिव गृह विनोद शर्मा, अपर सचिव शहरी विकास विनोद सुमन, चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर रेलवे प्रमोद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।