देहरादून। प्रदेश सरकार और भारतीय सेना के बीच श्रीनगर (गढ़वाल) स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज को सेना द्वारा संचालित करने के विषय पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। यह निर्णय शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के बीच हुई मुलाकात में लिया गया। इसके साथ ही उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए सेना से रिटायर होने वाले स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को राजकीय चिकित्सा सेवा में लिये जाने पर भी सहमति बनी। इस विषय में शीघ्र ही राज्य सरकार द्वारा एक औपचारिक प्रस्ताव सेना को भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि सेना में कार्यरत स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर 60 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते है। उनके शारीरिक रूप से फिट होने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं। सेना अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के मध्य सीमान्त क्षेत्रों में बार्डर एरिया विकास कार्यक्रमों पर भी विस्तृत विचार विमर्श हुआ। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज पर विस्तृत विचार-विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में उत्तराखंड के छात्रों के हितों का पूरा ध्यान रखने के साथ ही लोगों को उत्कृष्ट स्वास्य सुविधाएं प्राप्त हों, इसको सुनिश्चित किया जाएगा। जनरल रावत ने बताया कि सेना द्वारा प्रयोग के तौर पर उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय भू-भाग में उन्नत किस्म के अखरोट के पौधे लगाये जायेंगे और इनके परिणाम को देखते हुए भविष्य में स्थानीय ग्रामीणों को भी यह पौधे दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सेना को अखरोट उत्पादन के लिए जमीन की आवश्यकता होगी तो राज्य सरकार वन पंचायत या उद्यान विभाग के बगीचों को दे सकती है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन एवं पर्यटन की दृष्टि से 60 हेलीपैड बनाये हैं, जिन्हें सेना की आवश्यकता के अनुसार मजबूत एवं विस्तारित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं की पहली पसंद सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना रहा है। उन्होंने थल सेना अध्यक्ष को उनके द्वारा जम्मू-कश्मीर सहित देश की सीमाओं पर सेना द्वारा प्रदर्शित किये जा रहे अदम्य शौर्य एवं साहस के लिए बधाई दी और देश की सीमा पर तैनात जवानों को शुभकामनाएं भी दीं। इस अवसर पर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, आईएएमए के कमांडेंट एसके उपाध्याय भी उपस्थित थे।