स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग की मुख्यमंत्री ने की समीक्षा

देहरादून। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पिथौरागढ़ में जन्म के समय लिंगानुपात(ब्ीपसक ेमग तंजपव ंज इपतजी) बेहद कम पाये जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वर्षवार लक्ष्य निर्धारित कर इसमें सुधार करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा प्रत्येक माह इसकी समीक्षा की जायेगी। उन्होनंे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को उत्तराखण्ड से एक नई मजबूती दी जायेगी। उन्होंने कहा कि देहरादून स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। इसके लिये मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और वित्त सचिव को आवश्यक धन की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि निजी और सरकारी मेडिकल कालेजों के विशेषज्ञ डाक्टरों की सेवा रोस्टर के अनुसार ली जाय। उन्होंने कहा कि आईटी के प्रयोग से दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं को बल दिया जाय। टेली मेडिसिन और टेली रेडीओलाॅजी की व्यवस्था की जाय जिससे दूरस्थ इलाकों में भी विशेषज्ञ की राय ली जा सके। उन्होंने अस्पतालों की गतिविधियाँ, मरीजों की सुविधाएँ, साफ सफाई आदि की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की योजनाए कागजों पर नहीं हों, जनता को उनका लाभ मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि डाक्टरों की तैनाती एवं स्थानांतरण हेतु बनाई गयी नीति को सख्ती से लागू किया जाय। डाॅक्टरों को सरकार द्वारा हर सम्भव सुविधा दी जायेगी परन्तु इसके लिये उन्हें भी सेवा भावना के साथ प्रतिबद्ध होकर कार्य करना होगा। सरकारी डाॅक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस की प्रवृत्ति पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है और इसके लिये उन्हें प्रतिपूर्ति के रूप में एनपीए(नाॅन प्रैक्टिसिंग एलाउंस) भी दिया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञों की तैनाती सुनिश्चित की जायेगी। सरकारी मेडिकल कालेजों में पढ़ने वाले सरकारी अस्पतालों में सेवा दे इसके लिए कड़े प्रावधान किए जाय। सरकारी मेडिकल काॅलेजों में छात्रों को फीस में छूट पहले न देकर, सरकारी सेवा देते समय किस्तों में प्रतिपूर्ति के आधार पर देने के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने सचिव चिकित्सा शिक्षा से परीक्षण करने को कहा। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के 06 माह से बेकार खड़े सचल चिकित्सा वाहनों पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने डाक्टरों की कमी से लड़ने में सहायक, दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने में उपयोगी वाहनों के संचालन के लिए तुरंत टेंडर करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की समीक्षा करते हुए उन्होनंे कहा कि प्रत्येक निजी और सरकारी अस्पताल में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी देने हेतु सूचना पट्ट लगाये जाय। उन्होंने कहा कि सरकार की कई योजनाओं की जानकारी न होने के कारण जनता सरकारी एवं निजी अस्पतालों में परेशान होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निजी सहभागिता के आधार पर संचालित अस्पतालों में जो अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाय परन्तु जो लापरवाही दिखा रहे हैं उनसे सख्ती से पेश आया जाय। जन स्वास्थ्य से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पूर्व विश्व स्वास्थ संगठन के दल ने अगस्त सितम्बर से प्रदेश में प्रस्तावित खसरारूबेला टीकाकरण अभियान के बारे में मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुतिकरण दिया। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिये कि इस टीकाकरण अभियान की सफलता और अधिकतम आच्छादन के लिये हर सम्भव कदम उठाया जाय। बैठक में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री आनन्द बर्द्धन, सचिव मुख्यमंत्री श्री अमित नेगी, महानिदेशक स्वास्थ डाॅ.डीएस रावत सहित अन्य अधिकरी उपस्थित थे।

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