देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत ने हरिद्वार से चुनाव न लड़ने की वजह का खुलासा किया है। उन्होंने इस फैसले से हरिद्वार के अपने समर्थकों को पहुंचे दुख पर माफी भी मांगी है और कहा है कि प्रश्न उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत करने का था। फेसबुक पर डाली एक पोस्ट में रावत ने कहा है कि अभी-अभी हरिद्वार के कुछ दोस्त हरिद्वार से चुनाव न लड़ने के लिए मुझे बुरा-भला कह कर गए हैं। चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भी नाराजगी का यह सिलसिला जारी रहेगा। उन्होंने कहा है कि हरिद्वार से चुनाव न लड़कर जिन साथियों के मन को दुख पहुंचाया है, उनसे माफी मांगता हूं। रावत लिखते हैं कि इस बार बड़े प्रयासों से खड़ा किय गया उत्तराखंडियत का माडल दांव में लग गया था। कुछ लोगों के बयानों से गन्ने व मडुवे की समन्वित सोच खतरे में दिखाई दे रही थी। इसलिए शुरुआत में चुनाव लड़ने से अनिच्छा जतायी। रावत लिखते हैं कि बहुत कहने पर पार्टी से नैनीताल से चुनाव लड़ाने का आग्रह किया। यह आग्रह इसलिए किया कि 2014 में नैनीताल से लगभग तीन लाख वोटों से पीछे रहे थे। जबकि यहां 2017 के चुनाव में भी सिर्फ दो विधायक जीते हैं। इसके विपरीत हरिद्वार में तुलनात्मक स्थिति अच्छी थी। वे आगे लिखते हैं कि सवाल यह नहीं था कि कहां से लड़ें और कहां से नहीं। बल्कि प्रश्न उत्तराखंडियत से संबंधित धरौंदे की रक्षा का था। वे आगे लिखते हैं कि उत्तराखंडियत को किसी भी मूल्य पर दांव पर नहीं लगा सकता था। हरिद्वारवासियों से उनका अटूट प्यार बना रहेगा, बल्कि और बढ़ेगा। हम मिलकर उत्तराखंड और उत्तराखंडियत तथा कांग्रेस को आगे बढ़ायेंगे।