देहरादून। सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा विभाग ने अब ज्यादा सख्ती करने का निर्णय लिया है। इस तारगेट के हिसाब से हर महीने एक हजार से अधिक विद्यालयों का औचक निरीक्षण होगा। यानि ड्रेस कोड व कुछ अन्य फैसलों पर सरकार को आंखें दिखा रहे शिक्षकों को अब नौकरी तो ठीक से करनी ही होगी। जो अधिकारी लक्ष्य के अनुरूप अनुश्रवण नहीं करेगा, उसे गोपनीय आख्या में प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।
निदेशक शिक्षा आरके कुंवर ने स्कूलों की मानीटरिंग के लिए आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत मंडलीय अपर निदेशक बेसिक व माध्यमिक को हर महीने पांच-पांच विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना होगा। साथ ही सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को हर महीने 10-10 विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना होगा। यह लक्ष्य निचले स्तर तक निर्धारित कर दिया गया है। निरीक्षण के पश्चात आनलाइन रिपोर्ट एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की गैरहाजिरी को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें रही हैं। पिछले दिनों निरीक्षण के दौरान गैरहाजिर 78 शिक्षकों को कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है, लेकिन अब विभाग किसी भी तरह की ढ़ील देने के पक्ष में नहीं है। अब गैरहाजिर पाये गये शिक्षकों का न तो वेतन कटेगा और न ही किसी तरह चेतावनी दी जाएगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने ऐसे शिक्षकों को सीधे एफ श्रेणी के विद्यालयों में स्थानान्तरित करने के आदेश दिये हैं। बृहस्पतिवार को माह जुलाई में हुई छापेमारी रिपोर्ट की समीक्षा निदेशालय में की गयी। इसमें पाया गया कि अब तक जिला शिक्षाधिकारी प्राथमिक अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व टिहरी के द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष अनुश्रवण किया है। जबकि जिला शिक्षाधिकारी प्राथमिक हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर व उत्तरकाशी ने लक्ष्य से कम पर्यवेक्षण किया। इसी तरह विकास खंड स्तर पर उप शिक्षाधिकारियों में से ज्यादातर ने लक्ष्य के अनुरूप काम नहीं किया है। ऐसे अधिकारियों को रिमाइंडर भेजा जाएगा। विद्यालयों का निरीक्षण न करना भी उदासीनता व लापरवाही माना जाएगा।