अब सरकार के इस फैसले से नाराज हुए शिक्षक

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उत्तराखंड में शिक्षक एक बार फिर सरकार से नाराज होते नजर आ रहे हैं। इस बार उनके नाराज होने के पीछे तबादला सीमा 10 प्रतिशत रखना है।
सरकार के तबादलों की सीमा 10 फीसदी रखने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। राज्य के शिक्षक संगठनों ने सरकार पर तबादला एक्ट की मूल भावना को ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दो वर्ष से तबादला सत्र शून्य चल रहा हैए ऐसे में केवल 10 फीसदी तबादले होने से वर्षों से दुर्गम में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को राहत नहीं मिल पाएगी। इस बाबत प्राथमिक शिक्षक संघ ने जहां सरकार से 10 फीसदी की बाध्यता खत्म करने और इसे कम से कम 50 फीसदी करने की मांग को जोरदार ढंग से रखा है, वहीं राजकीय शिक्षक संघ ने भी इस मामले को लेकर आगामी 11 मई को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया है। इसके अलावा जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने भी साफ कहा है कि तबादलों को लेकर सरकार का यह फैसला किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
यह है प्रावधान : तबादला ऐक्ट के अनुसार दुर्गम क्षेत्रों में रिक्त पदों की उपलब्धता के अनुसार तबादला किए जाने हैं। इनमें कोई सीमा नहीं रखी गई है। इस मानक की वजह से ही दुर्गम क्षेत्रों में वर्षों से तैनात शिक्षक.कर्मियों को तबादला मिलने की उम्मीद बंधी थी। परए सरकार ने बीते रोज दस फीसदी की तबादला सीमा तय कर दी।
क्या कहना है शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों का
तबादलों को 10 फीसदी तक सीमित करना शिक्षकों के साथ नाइंसाफी है। तबादला एक्ट बना ही इसलिए था कि दुर्गम में वर्षो से नौकरी कर रहे शिक्षक.कर्मचारियों को सुगम क्षेत्रों में आने का मौका मिल सके। इस मुद्दे पर संघ जल्द ही प्रांतीय कार्यकारिणी बैठक करेगा और सरकार के सामने अपना पक्ष भी रखेगा। कमल किशोर डिमरी अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ
तबादलों को लेकर सरकार का यह फैसला किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। इससे शिक्षकों को राहत ही नहीं मिल पाएगी। सरकार को चाहिए कि इस आदेश को तत्काल खत्म करते हुए तबादला एक्ट में तय प्रावधान के अनुसारए सभी रिक्त पदों पर तबादले करे। राजेंद्र प्रसाद बहुगुणा, प्रदेश महामंत्री जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
तबादलों में दस फीसदी के प्रावधान को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए। यदि किसी वजह से यह मुमकिन न हो तो इस सीमा को कम से कम 50 फीसदी तक रखा जाए। इसके साथ ही तबादला प्रक्रिया में पूर्व की तरह काउंसिलिंग की वयवस्था लागू की जानी चाहिए। काउंसलिंग से तबादलों में पारदर्शिता बनी रहेगी।  दिग्विजय सिंह चौहान, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ

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