अवैध निर्माण मामला: हाईकोर्ट ने किया सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर के MD को तलब

नैनीताल/देहरादून। नदी की भूमि पर अवैध कब्जा व निर्माण करने के मामलें को गम्भीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी के एमडी को शुक्रवार को हाईकोर्ट में तलब किया है। साथ ही आदेश न मानने पर अगली कार्यवाही को मूर्तरूप देने की बात कही है। न्यायालय के आदेश के बाद कम्पनी एमडी की मुश्किले बढ़ गयी है।
नदी की भूमि पर अवैध कब्जा व निर्माण करने वाले सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. कम्पनी
की मुश्किले कम होती नजर नहीं आ रही है। कम्पनी प्रबंधन के अवैध निर्माण पर कार्यवाही की मांग को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद अली के द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की हुई है, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. कम्पनी के एमडी राजेश जैन को शुक्रवार को हाईकोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिये है। साथ ही आदेश न मानने पर अगली कार्यवाही को मूर्तरूप देने की बात कही है। गत 7 जुलाई को दायर की गयी इस याचिका में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रकरण की जांच कर 12 जुलाई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे, जिस पर राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में सुमेरू प्रबंधन के नदी की भूमि पर नियम विरूद्ध निर्माण कार्य करने की बात कही गयी।
विदित हो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद अली द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. कम्पनी पर बडोवाला आरकेडिया ईस्ट हॉप टाउन में नदी की जमीन पर अवैध कब्जा व निर्माण किया गया है, जिस पर आवश्यक कार्यवाही करने के लिए उनके द्वारा मुख्य सचिव को प्रार्थना पत्र भी दिया गया था। गत 30 मई को राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा मौके का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौप दी, जिसमें उनके द्वारा कम्पनी प्रबंधन के अवैध कब्जा किये जाने की बात कही गयी।
याचिका में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट में कब्जा होने की बात सामने आने के बावजूद किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गयी, जिस कारण उनके द्वारा जनहित याचिका दायर की गयी। उधर कार्यवाही की मांग करने वाले याचिकाकर्ता व कांग्रेसी नेता आजाद अली ने कहा कि अवैध निर्माण पर कार्यवाही होने तक उनके द्वारा संघर्ष किया जाता रहेगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सुमेरू इन्फ्रास्ट्रक्चर व नदी किनारे हो रहे अतिक्रमण पर न्यायालय द्वारा उपयुक्त कार्यवाही की जायेगी।

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