काशीपुर/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उच्च न्यायालय को नैैनीताल शहर से शिफ्ट करके काशीपुर-रामनगर के बीच पीरूमदारा क्षेत्र में ले जाना चाहिए। इससेे नैैनीताल शहर की जनता, पर्यटकोे, वादकारियों, वकीलों तथा न्यायालय के अधिकारियोें कर्मचारियोें सभी को लाभ होेगा। मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स ) की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ई-मेल से भेेजे सुुझाव में उक्त सुझाव दिया है।
9 नवम्बर 2000 से अब तक 18 वर्ष से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के नैैनीताल नगर में स्थित होने से विभिन्न कठिनाईयोें का सामना नैैनीताल शहर की आम जनता, नैनीताल आने वालेे देश विदेेश के पर्यटकोें के साथ-साथ उत्तराखंड के वादकारियों, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के माननीय जजों, स्टाफ तथा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओें को करना पड़ा हैै औैर भविष्य में इन परेशानियों में बढ़ोत्तरी होेनेे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अधिवक्ता फ्रंट के संयोजक एम.सी. काण्डपाल द्वारा उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को इस संबंध में प्रत्यावेदन दिया गया है। वर्तमान मुख्य न्यायधीश ने इस पर विचार करते हुये इस पर सुझाव अधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से आमंत्रित किये हैं जो ई-मेल व डाक द्वारा किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा भेजे जा सकते हैं।
माकाक्स अध्यक्ष नदीम उद्दीन द्वारा माकाक्स की ओेर सेे भेजे गये सुझाव के अनुसार नैनीताल नगर में उच्च न्यायालय होेेेने सेे नैैनीताल शहर की जनता तथा यहां आनेे वाले पर्यटकोें को भारी जनदवाब, पर्यावरण पर प्रतिकूल प्र्रभाव, टेªफिक जाम की समस्या, अपराधोें में वृृद्धि, पर्यटन व्यापार प्रभावित होना आदि झेेलना पड़ता है। वहीं न्यायालय आनेे वालेे वादकारियों को भी मुश्किल पहुंच, ठहरने में कठिनाई, वाहन पार्किंग की समस्या, ट्रेफिक जाम की समस्या न्यायालय भवन में एक स्थान सेे दूसरे स्थान पर जाने में कठिनाई, पहाड़ी यात्रा के कारण अत्यन्त थकावट, देेश विदेेश के वादकारियोें का न्यायालय पहुुंचना कठिन, अधिवक्ताओं से सम्पर्क कठिन, मंहगा न्याय, प्राकृृतिक आपदा का खतरा, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव आदि कठिनाइयां हो रही है।
उ0प्र0 पुुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 26(2) के अन्तर्गत राष्ट्रपति के आदेश में उल्लेखित स्थान नैनीताल का अर्थ यदि नैनीताल जनपद माना जाये तो इसके लिये सबसे उपयुक्त स्थान रामनगर तहसील के अन्तर्गत काशीपुर व रामनगर के बीच पीरूमदारा के निकट का क्षेत्र हो सकता है। यहां इन कठिनाइयों से राहत तो मिलेगी ही, साथ ही अधिकतर वादकारियों व सरकारी काम से न्यायालय आने वाले उत्तराखण्ड सरकार के अधिकारियों, कर्मचारियों के लियें भी सुविधाजनक होगा। इतना ही नहीं गढ़वाल के अन्य पर्वतीय जनपदों से भी यहां पहुंचना नैनीताल नगर की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होगा। यदि राष्ट्रपति के आदेश में उल्लेखित स्थान नैनीताल का अर्थ नैनीताल तहसील तक सीमित माना जाये तो इसके लिये श्री एम.सी.काण्डपाल द्वारा अपने प्रत्यावेदन में सुझाया गया स्थान रानीबाग का एच.एम.टी. कारखाने का स्थान उपयुक्त है। लेकिन इस स्थान पर भी निकट भविष्य में नैनीताल नगर वाली विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।