देहरादून। यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले कुछ वर्षाें में उत्तराखंड के अंदर प्राइमरी व जूनियर स्कूल बंद हो जाएंगे। इनके स्थान पर जहां एक दर्जन स्कूलों के बीच इंटरमीडिएट कालेज खोला जाएगा, वहीं बंद होने वाले स्कूलों के बच्चों व शिक्षको को इसमें समायोजित किया जाएगा। इस दिशा में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से कसरत भी शुरू कर दी गयी है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है, इसके बावजूद स्थिति में अपेक्षानुरूप सुधार नहीं आ पा रहा है। इसी बीच अब शासन स्तर पर प्राइमरी व जूनियर स्कूलों को बंद करने की दिशा में कवायद शुरू हो गयी है। शिक्षा विभाग में चल रही चर्चाओं पर यदि विश्वास किया जाए, तो आने वाले कुछ सालों में सभी प्राइमरी, अपर प्राइमरी, जूनियर हाईस्कूल और हाईस्कूल बंद हो जाएंगे। इनकी जगह 10 से 12 स्कूलों के बीच एक इंटरमीडिएट कॉलेज खोला जाएगा। बंद होने वाले सभी स्कूलों के बच्चे और शिक्षक इस इंटर कॉलेज में समायोजित होंगे। सभी कैडर के शिक्षकों को इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य के नेतृत्व में काम करना होगा।
प्रदेश में ज्यादातर स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों अनुपात गड़बड़ाया हुआ है। कहीं शिक्षक नहीं है तो कहीं छात्र। ऐसे में छोटे स्कूलों को बंद कर सेंटर में इंटरमीडिएट कॉलेज खोलने की योजना है। सभी शिक्षक और छात्र यही समायोजित होंगे। इससे कॉलेज में पर्याप्त संख्या में छात्र और शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे। विभाग में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अधिकारी सरकारी शिक्षा की दशा सुधारने के लिए अलग-अलग राज्यों के एजूकेशन मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं। अभी तक अधिकारियों को जो मॉडल सबसे ज्यादा पसंद आया, वह राजस्थान का है। ज्यादातर अधिकारी इस मॉडल पर अपनी सहमति भी जता चुके हैं।