उत्तराखण्ड: दून में हुआ देश के पहले हेलीकाप्टर सम्मेलन का आयोजन

‘हेलीकाप्टर के माध्यम से कनेक्टीवीटी में विस्तार’’ थीम पर आधारित था सम्मेलन,  मुख्यमंत्री ने की उत्तराखण्ड में हर साल, सम्मेलन के आयोजन की घोषणा
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में हेली सेवाओं के विस्तार की बहुत सम्भावनाएं हैं। उत्तराखण्ड में प्रति वर्ष, हेलीकाप्टर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। उड़ान योजना में चिन्हित स्थानों के लिए हेली सेवाएं देने पर राज्य सरकार, भारत सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त सब्सिडी देगी। मुख्यमंत्री, सहस्त्रधारा हेली ड्रोम में आयोजित हेलीकाप्टर समिट 2019 के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
हेलीकाप्टर समिट 2019, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार व फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस तरह का हेलीकाप्टर समिट, भारत में पहली बार आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन की थीम ‘‘हेलीकाप्टर के माध्यम से कनेक्टीवीटी में विस्तार’’ थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां हेली सेवाएं बहुत जरूरी हैं। सीमांत क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से जाने में 20 घंटे तक लग जाते हैं जबकि हेलीकाप्टर से मात्र 1ः30 घंटे में पहुंचा जा सकता है। उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों की प्राकृतिक सुदंरता का कोई मुकाबला नहीं है। उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन के साथ ही खर्चीले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। हमारे प्रयासों से पिछले कुछ समय में फिल्म शूटिंग के लिए उत्तराखण्ड पंसदीदा गंतव्य बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इन्वेस्टर्स समिट के समय मुम्बई में फिल्मकारों के साथ बैठक की गई थी। फिल्म निर्माता श्री महेश भट्ट पहले रोमानिया में अपनी फिल्म की शूटिंग करना चाहते थे। हमने उन्हें उत्तराखण्ड आमंत्रित किया। वे यहां आए और बहुत से दूरस्थ क्षेत्रों तक घूम कर आए। वे यहां की प्राकृतिक सुंदरता से बहुत प्रभावित हुए। आतिथ्य उत्तराखण्ड के स्वभाव में है। देश-विदेश से बहुत से लोग, उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों तक जाना चाहते हैं। परंतु उनके पास समय की कमी होती है। इसलिए यहां हेली सेवाओं की बहुत जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड दैवीय आपदा की दृष्टि से भी संवेदनशील राज्य है। आपदा प्रभावितों को बचाने व राहत पहुंचाने में हेली सेवाएं बहुत ही उपयोगी हैं। हम राज्य में हेली एम्बुलेंस की सेवा देना चाहते हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में गम्भीर रूप से बीमार लोगों को हायर सेंटर कम समय में पहुंचाने के लिए भी हेली एम्बुलेंस जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में वर्ष में औसतन 2 लाख लोग हेली सेवाएं ले रहे हैं। हमारे यहां 51 हेलीपेड, 2 एयरपोर्ट व 1 एयरस्ट्रिप है। इसी प्रकार टिहरी में एक वाटर ड्रोम विकसित कर रहे हैं।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि केदारनाथ आपदा व हाल ही में आराकोट आपदा में बचाव व रहत के काम में हेली सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि राज्य के छोटे-छोटे स्थानों को कनेक्टीवीटी देने के लिए हेलीसेवा को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखण्ड पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक वृद्धि करने वाले अग्रणी राज्यों में है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से निकटता, जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट, औद्योगिक वातावरण, प्रशिक्षित मानव संसाधन, जलवायु, स्वच्छ वातावरण, उच्च स्तरीय स्कूल, प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम, एमआरओ सुविधाओं की उपलब्धता बहुत से ऐसे कारक हैं, जिनसे हेली विनिर्माता कम्पनियां उत्तराखण्ड आ सकती हैं।


नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव श्री प्रदीप सिंह खरोला ने कहा पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात का सबसे ज्यादा प्राथमिकता वाला साधन हेलीकाप्टर हो सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में एयरपोर्ट की बजाय हेलीपोर्ट विकसित किए जा सकते हैं। यदि राज्य सरकार भूमि उपलब्ध कराती है तो केंद्र सरकार हेलीपोर्ट विकसित कर सकती है।
श्री खरोला ने कहा कि भारत में पहली बार हेलीकाप्टर समिट का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने ऐसे अद्वितीय आयोजन के लिए मुख्यमंत्री व राज्य सरकार को बधाई दी। गत पांच वर्षों से सिविल एवियेशन में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में भारतीय आसमान में 600 से ज्यादा विमान उड़ रहे हैं। हेलीकाप्टर सेवाओं में भी काफी सम्भावनाएं हैं। मुख्यतः चार बातों पर फोकस करना होगा। पहला, पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवाएं बढ़ाने के लिए नियमों में क्या संशोधन करने की आवश्यकता है। दूसरा, एटीएफ टैक्स आदि में छूट सहित अन्य किस प्रकार के प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। उड़ान योजना में एटीएफ टैक्स केवल 1 प्रतिशत है। तीसरा, सुरक्षा प्रबंधन और चौथा इन्फ्रास्ट्रक्चर।
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक डा. संजीव चोपड़ा ने कहा कि हेली सेवाओं को एफोर्डेबल बनाने की चुनौति है। उन्होंने बताया कि अकादमी में तीन हेलीपेड पर व्यावसायिक सेवाएं प्रारम्भ करने की सैद्धांतिक स्वीकृति मिली है। नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त सचिव सुश्री उषा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में हेली कनेक्टीवीटी के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता है। टिहरी झील में सी-प्लेन संचालित करने के लिए वाटर ड्रोम विकसित किया जा रहा है। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को मेयर श्री सुनील उनियाल गामा व फिक्की की सिविल एवियेशन समिति के अध्यक्ष श्री आनंद स्टेनले ने भी सम्बोधित किया। उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने अतिथियों का स्वागत किया।

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