देहरादून/रूड़की। उत्तराखंड में सरकार आगामी एक अगस्त से ड्रेस कोड लागू करवा पाती है या नही, ये तो कहना मुश्किल है। लेकिन शिक्षक इस बात को जरूर कर रहे है कि सरकार को यूनिफार्म थोपने के स्थान पर स्कूलों में सुविधाएं देने पर ध्यान देना चाहिए। इनका साफ मानना है कि यूनिफार्म लागू कर देने भर से अनुशासन को नहीं बदला जा सकता और न ही नौनिहालों के भविष्य में सुधार होगा।
हम बात कर रहे है रूड़की के स्कूलों में पढ़ा रही शिक्षिकाओं की, जो ड्रेस कोड की व्यवस्था को मानने से साफ इंकार कर रही है। इन शिक्षिकाओं का कहना है कि यूनिफार्म लागू होने से अनुशासन नहीं बदलता है और न ही नौनिहालों के भविष्य में सुधार होगा। सरकार शिक्षकों पर यूनिफार्म को थोपना चाहती है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रुड़की ब्लॉक में 107 प्राइमरी स्कूल, 26 उच्च प्राथमिक स्कूल और 18 इंटर कॉलेज हैं लेकिन सबसे खस्ताहाल प्राइमरी विद्यालय हैं जिसमें अधिकत्तर विद्यालयों में बिजली, पानी, लाइट, शौचालय और बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है।
एक आंकलन के अनुसार 15 प्रतिशत विद्यालयों के भवन जर्जर हालत में हैं। ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे सुधर पाएगा ये शिक्षा विभाग-प्रदेश सरकार के लिए सबसे बड़ा सवाल है। शिक्षिकाओं का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार यूनिफार्म के बजाय शिक्षा व्यवस्था के संसाधनों पर ध्यान दे तो शायद बच्चों का भविष्य सुधर सकता है। यदि प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग स्कूलों के संसाधनों को मजबूत करे ताकि सरकारी स्कूल में भी प्राइवेट की तरह सुविधाएं मिले तो बच्चा प्राइवेट स्कूलों का रुख नहीं करेगा, इसलिए सरकार को यूनिफार्म के बजाय शिक्षा के स्तर को किस तरीके से सुधारा जाए इस पर ध्यान देना चाहिए।