देहरादून। कर्मचारी भविष्य निधि(ईपीएफ) सभी कुशल, अकुशल दैनिक वेतनभोगी, संविदा, आउटसोर्स पर काम करने वाले लोगों पर भी लागू होगी। जिस संस्था में 20 से अधिक लोग कार्य करते हैं और रूपये 15,000 से कम मासिक मानदेय/मजदूरी पाते हैं, उनका ईपीएफ खाता होना अनिवार्य है। इस बारे में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी ने शुक्रवार को सचिवालय में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। निर्देश दिए कि सभी दैनिक, नियमित कार्मिक को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाय। बताया गया कि इसका मकसद सभी कार्मिकों को कार्य करने में अक्षम होने या सेवानिवृत्त होने की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक कार्मिकों के मानदेय/मजदूरी में से 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा होगा। इतनी ही धनराशि नियोक्ता द्वारा जमा किया जायेगा। जमा किया हुआ ईपीएफ ब्याज के साथ सेवानिवृत्त इस्तीफा या मृत्यु के समय मिलेगा। खाताधारक बीमारी, शिक्षा, मकान या जमीन खरीदने के लिए एडवांस भी ले सकता है। कर्मचारी पेंशन योजना(ईपीएस) के अंतर्गत पेंशन की भी व्यवस्था है। मृत्यु होने की स्थिति में विधवा को रू.3000 प्रति माह, अनाथ दो बच्चों को रू. 400 प्रति माह मिलेगा। इसके साथ ही सरकारी कार्य करने वाले ठेकेदारों को भी अपने मजदूरों का ईपीएफ खाता खोलना होगा। बैठक में प्रमुख सचिव ग्राम विकास श्रीमती मनीषा पवांर, अपर सचिव श्रम श्री पंकज पांडेय, भारत सरकार के अतिरिक्त कमिश्नर ई.पी.एफ श्री जगमोहन, संयुक्त कमिश्नर श्री मनोज यादव, एमडी जीएमवीएन श्री अतुल गुप्ता भी उपस्थित थे।