जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार को 40 एकड़ भूमि हस्तांतरित

देहरादून। मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने सात वर्ष से लंबित 40 एकड़ भूमि को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए। वहीं जौलीग्रांट एयरपोर्ट को क्लीनेस्ट एयरपोर्ट के रूप में नामित किया गया है। यह जानकारी सोमवार को सचिवालय में एयरफील्ड एनवायरनमेंट मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में दी गई। बैठक में बताया गया कि 2011-12 में जौलीग्रांट एयरपोर्ट से सालभर में 80,000 यात्री रवाना होते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर आठ लाख हो गयी है। यहां दिन में 12 विमान सेवाए आती-जाती हैं। इस एयरपोर्ट से मुम्बई, बंगलूरु, लखनऊ, हैदराबाद व दिल्ली के लिए नियमित हवाई सेवा आरंभ हो गई हैं। बैठक में बताया गया कि रनवे को 4000 फीट से बढ़ाकर 7021 फीट किया गया है। अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है। इसमें रनवे की लम्बाई को बढ़ाकर 9000 फीट किया जाना है। गोइंग वे की संख्या चार से बढ़ाकर आठ की जानी है। इसके अलावा अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जानी है। 348 करोड़ रपए की लागत से 30,200 वर्ग मीटर भवन का विस्तार किया जाना है। मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने सात वर्ष से लंबित 40 एकड़ भूमि को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लोनिवि, राजस्व व वन विभाग के अधिकारी मौके का निरीक्षण कर भूमि हस्तांतरित करें। निदेशक विमानपत्तन, देहरादून हवाई अड्डा ने बताया कि उड़ान से वन्य जीव प्रभावित न हो, इसके लिए कारगर कदम उठाये गये हैं। उन्होंने कूड़े के समुचित निस्तारण, आस-पास के बड़े पेड़ों को काटने, मोबाइल टावर हटाने, शादी या अन्य उत्सव में लेजर के उत्सर्जन पर रोक लगाने, आस-पास के मकानों से पतंग न उड़ाने और हवाई अड्डे से सार्वजनिक परिवहन संचालित करने की अपेक्षा की। मुख्य सचिव ने तत्काल व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

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