देहरादून। उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम में अधिकारियों ने डिस्ट्रीब्यूट्ररों से मिलीभगत कर सरकार को 16 करोड़ की चपत लगाई है। इस घोटाले में शासन ने निगम के तत्कालीन अध्यक्ष पीएस बिष्ट को नोटिस जारी कर दिया है जबकि निगम के चीफ इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है। इनके अलावा निगम के आठ अन्य अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट में इन अधिकारियों को दोषी पाया गया है।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने विधानसभा में प्रेस वार्ता कर इस घोटाले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तराई बीज निगम के अधिकारियों ने वर्ष 2015-16 में गेहूं बीज की बिक्री से निगम को 16 करोड रपए नुकसान पहुंचाया। निगम ने 17 दिसंबर 2015 में गेहूं के बीज को खराब बता कर उसे निर्धारित रेट 3188 रपए के बजाए 2150 रपए प्रति कुंतल के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटरों को बेच दिया। उसके बाद बचे हुए बीज की खरीद बढ़ाने के लिए किसानों के लिए 14 जनवरी 2016 को एक नई स्कीम निकाल दी जिसमें दो बैग पर एक बैग मुफत देना तय किया गया। यह बैग में 40 किलो गेहूं था। इस स्कीम का लाभ किसानों को देने के बजाय डिस्ट्रीब्यूयरों को दे दिया गया। इस स्कीम के तहत 10623.80 कुंतल यूपी और 6209 कुंतल बीज बिहार को सप्लाई किया गया। इस प्रकार दोनों स्कीमों में उत्तर प्रदेश को 29680 कुंतल जबकि बिहार को 52272 कुंतल बीज की बिक्री दिखाई गई। उन्होंने बताया कि बीज की बिक्री नेशनल हर्ब बरेली, साहू ब्रदर्स वाराणसी और कृषि सेवा केंद्र फरुखाबाद को की गई,जबकि बिक्री के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक स्टकिस्ट बनाया जाना था। बिहार में 15 जिले, यूपी में 10 और पश्चिम बंगाल में एक जिले में बीज की आपूत्तर्ि की गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 -16 में उत्पादन 29 प्रतिशत ज्यादा था और रबी की फसल 330917 कुंतल हुई थी। इसमें से 290846 कुंतल गेहूं निकला। उन्होंने बताया कि अधिकारियों क्या कहना था कि सूखे के कारण मांग कम थी जबकि उत्पादन ज्यादा था जिसके चलते 16 दिसंबर 2016 को 11153.4 कुंटल बिहार भेज दिया गया जबकि आर्डर पर 10 प्रतिशत राशि अग्रिम 15 प्रतिशत बीज स्तान्तरण पर व 75 प्रतिशत बैंक गांरटी, नगद या बैंक ड्राफ्ट के बाद ही माल भेजा जाता था परन्तु ये सब नियम भी ताक पर रख दिये गये। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। इसमें आईजी जीएस मतरेलिया और अपर सचिव सुनीता पांथरी सदस्य थे। कृषि मंत्री ने बताया कि घोटाले के समय तराई बीज निगम के अध्यक्ष रहे पीएस बिष्ट को नोटिस जारी कर दिया गया है जबकि निगम के मार्केटिंग इंचार्ज चीफ इंजीनियर पीके चौहान को 23 जून को सस्पेंड कर दिया गया, जवकि वे 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे थे। उन्होंने बताया कि इनके अलावा निगम के कंपनी सेक्रेटरी आरके निगम, मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी दीपक पाण्ंडेय, उप मुख्य मार्केटिंग अधिकारी एके लोहनी, उप विपणन अधिकारी अजीत सिंह, उप मुख्य वित्तीय अधिकारी बीडी तिवारी, शिवमंगल त्रिपाठी, लेखाकार जीएस तिवारी, अकाउंट अफसर अतुल पाण्ंडे के खिलाफ प्रथमिकी दर्ज करा दी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में वह मुख्यमंत्री से वार्ता का एसआईटी से भी जांच करा दी जाएगी ओर दोषियों का बख्शा नहीं जाएगा।