देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये हैं कि शिक्षा सुधार के लिए जो कार्यक्रम तय हुए हैं, उनकी तैयारी पूरी तरह कर ली जाए। उन्होंने कहा है कि पांच-सात किलोमीटर की दूरी के स्कूलों को क्लब करके वहां संसाधन पूरे किए जाएं। सचिवालय में आयोजित बैठक में उन्होंने सुधार पर बल देते हुए कहा कि स्कूलों में इनोवेटिव कार्य करें तथा प्रतिभा खोज का प्रयास करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी एवं सरकारी स्कूल के तुलनात्मक अध्ययन किए जाएं, जिससे शिक्षा में सुधार के कार्यक्रम बनाए जा सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटी-छोटी बात पर हड़ताल करना उचित नहीं है। विभाग के अधिकारी यूनियन के साथ बातचीत करके समस्या का समाधान कर लें और समय पर प्रमोशन देने की प्रयास करें। उन्होंने स्कूली शिक्षा को वैज्ञानिक बनाने व एनसीईआरटी पुस्तकों के चलन के लिए आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिये। मॉडल स्कूल को विकसित करके इसमें पर्याप्त स्टॉफ, उपकरण आदि दिये जाए, ताकि मॉडल स्कूल का औचित्य सिद्ध हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का क्षेत्र रोजगार का साधन नहीं है। हमारा मुख्य उद्देश्य शिक्षा का वातावरण बनाना है। शिक्षा में गुणवत्ता सुधार पर बल देते हुए कहा कि उप शिक्षा अधिकारी व खण्ड शिक्षा अधिकारी स्कूलों का भ्रमण करके शिक्षा की गुणवत्ता सुधार एवं माडल स्कूल निर्माण के आस-पास के 5-7 किमी के स्कूलों को क्लब करके, स्टॉफ, उपकरण आदि उपलब्ध करायें। इस संबंध में ब्लॉक लेवल पर नोडल अधिकारी तैनात करके 35 दिनों में शासन को रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। स्वच्छता कार्यक्रम पर विशेष बल दिया जाए। अक्षय पात्र योजना की देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर, काशीपुर में तैयारी पूर्ण कर ली जाए। इसके पश्चात् अन्य स्थलों पर इस योजना को लागू करने का प्रयास करें। मुख्यमंत्री ने दुर्गम क्षेत्रों में अध्यापकों की तैनाती करने को कहा और शिक्षकों के लिए संदेश दिया है कि ट्रांसफर को दण्ड न समझा जाए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा के साथ अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के लिए भी प्रयास किये जाए। बैठक में शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय, सचिव चन्द्रशेखर भट्ट, शैलेश बगोली, श्रीमती राधिका झा, निदेशक शिक्षा डा. राकेश कुंवर, निदेशक युवा कल्याण प्रशान्त आर्य भी उपस्थित थे।