देहरादून। अब स्कूलों में आपदा प्रबंधन के संबंध में प्रदेश सरकार जनजागरुकता गतिविधियां बढ़ाएगी। इसके साथ ही इसे विषय के रूप में पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। सरकार ने आपदा प्रबंधन में राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की अहम भूमिका को देखते हुए इसे और मजबूत करने का निर्णय लिया है।
सरकार ने ईको टास्क फोर्स की तर्ज पर एसडीआरएफ को रिस्पना नदी के पुनर्जीवित करने का जिम्मा भी सौंपा है। एसडीआरएफ रिस्पना नदी के आसपास पौधरोपण का कार्य भी करेगी। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ली। बैठक में उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों की अहम भूमिका है। स्थानीय लोगों को फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तर्ज पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के ढांचे को और मजबूत करने पर जोर दिया। निर्णय लिया गया कि पुलिस महानिदेशक के अलावा सेना व आइटीबीपी के प्रतिनिधियों को इसमें सदस्य तथा विशेष वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।
बैठक में एसडीआरएफ को और मजबूत करते हुए इसकी शेष तीन कंपनियों को अस्तित्व में लाने और बल को आधुनिक उपकरण से लैस करने पर सहमति बनी। इस दौरान आकाशीय बिजली को प्राकृतिक आपदा घोषित किए जाने का अनुमोदन किया गया। आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही इसे प्राकृतिक आपदा घोषित कर चुका है। बैठक में एनडीएमए के सहयोग से राज्य में चलाई जा रही आपदा प्रबंधन संबंधी पांच योजनाओं का विवरण, इंडिया डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क की मौजूदा स्थिति और इस वर्ष घटी प्राकृतिक आपदाओं का विवरण भी प्रस्तुत किया गया। बैठक में कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत, मुख्य सचिव एस रामास्वामी, पुलिस महानिदेशक एमए गणपति, सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी, सचिव गृह विनोद शर्मा के अलावा आइजी एसडीआरएफ संजय गुंज्याल व निदेशक मौसम विज्ञान विभाग विक्रम सिंह भी मौजूद थे।
कॉफी टेबल बुक का विमोचन
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक में विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से ओडीसीएच और पेयजल पर तैयार की गई दो कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन की ओर से जनजागरुकता के लिए पांच लघु फिल्मों व 20 लघु कहानियों की पुस्तक ‘प्रयास’ का भी विमोचन किया।