देहरादून। शिक्षक संगठनों के विरोध के स्वर भले ही उठ रहे हों, लेकिन सरकार ने पिछले वर्षो में अनुकंपा के आधार पर किये गये शिक्षकों के तबादले निरस्त करने का मन बना लिया है। ऐसे प्राइमरी शिक्षकों की वापसी का फरमान जारी हो चुका है और अब माध्यमिक के शिक्षकों को फिर से पहाड़ चढ़ाने की तैयारी है। सरकार के इस फैसले का शिक्षक संघ विरोध करने के लिए जुट रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ट्रांसफर एक्ट को आधार बनाते हुए इसे लागू करने का मन बना चुका है। पिछले कई वर्षो से शिक्षा विभाग में ट्रांसफर सबसे बड़ी आफत है। सिर्फ तबादला नीति बनाने की वजह से तबादलों में मनमानी को रोकना बहुत मुश्किल था। उस व्यवस्था से पहुंच वाले शिक्षक तो फायदा उठा लेते थे, लेकिन वास्तविक जरूरतमंद शिक्षकों को उसका लाभ नहीं मिल पाता था। अब चूंकि सरकार ट्रांसफर एक्ट ला चुकी है और शिक्षकों के स्कूलों का कोटिकरण भी कर दिया गया है। ऐसे में सिर्फ पहुंच के बल पर मनमाफिक पोस्टिंग पाने वालों के लिए दिक्कतें हैं। यही वजह है कि शिक्षकों का एक प्रभावशाली वर्ग एक्ट का विरोध भी कर रहा है। जबकि ज्यादातर शिक्षक एक्ट के आने से काफी खुश हैं। एक्ट की वजह से सरकार को भी ताकत मिली है। बताया जा रहा है कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय शिक्षकों के द्वारा ड्रेस कोड में डाले गये अडंगे से काफी आहत हुए। इसको देखते हुए उन्होंने एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप ही तबादले करके दबंग शिक्षकों पर अंकुश लगाने की रणनीति बनायी है। अनुकंपा वाले प्राइमरी शिक्षकों को हर हाल में 31 मई तक वापस जाने का फरमान सुनाने के बाद अब माध्यमिक के ऐसे शिक्षकों को भी वापस भेजने की योजना पर काम चल रहा है। इससे जहां पर्वतीय क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पद भरने में मदद मिलेगी वहीं विभिन्न प्रकार की मजबूरियों के चलते सुगम की चाहत रखने वालों को राहत मिलेगी।