नैनीताल। राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में दस फीसद क्षेतिज आरक्षण के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने फैसला सुना दिया है। खंडपीठ का फैसला अलग अलग है।
आंदोलनकारियों को आरक्षण का मामला ‘इन दी मेटर ऑफ अप्वाईमेंट एक्टिविस्ट’ संबंधी जनहित याचिका के रूप में 2011 में कोर्ट में आया था। सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था, जिसे आज जारी कर दिया गया। खंडपीठ का फैसला अलग अलग है। खंड पीठ में शामिल जस्टिस सुधांशु धुलिया ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी सभी शासनादेशों को संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करार देते हुए निरस्त कर दिया है, जबकि जस्टिस यूसी ध्यानी ने कहा है कि राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए जारी शासनादेशों में संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं हुआ है, लिहाजा आरक्षण विधि सम्मत है। उधर कानूनी जानकारों का कहना है कि फैसले में अलग अलग मत आने के बाद मुख्य न्यायाधीश के पास दो विकल्प हैं। पहला की वह फैसले को किसी तीसरे जज को रेफर कर दें। वो जिसके तथ्य को सही ठहराएंगे, उसे फिर फाइनल आदेश माना जायेगा। दूसरा मुख्य न्यायाधीश तीन अन्य जजों की पीठ का गठन कर मामले को रेफर कर दें। तीन जजों की पीठ जो फैसला देगी उसे माना जायेगा।