राज्य विधि आयोग के अध्य़क्ष ने ली राजस्व से सम्बन्धित बैठक

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। राज्य विधि आयोग के अध्य़क्ष न्यायमूर्ति(से.नि.) राजेश टण्डन की अध्यक्षता में राजस्व से जुड़े हुए सम्बन्धित अधिकारियों और सदस्यों के साथ राजस्व से सम्बन्धित बैठक आयोजित की गई।
जिलाधिकारी, देहरादून सी. रविशंकर, द्वारा बनारस पारिवारिक भूसम्पदा अधिनियम 1904 और उत्तर प्रदेश भूमि विकास कर (निरसन) अधिनियम के सम्बन्ध में अवगत कराया कि उक्त् अधिनियम प्रचलन में न होने एंव अनुपयुक्त होने के फलस्वरूप निरसित किया जाना उचित होगा। जिस पर सभी के द्वारा सहमति व्यक्त की गयी। उन्होंने जौनसार बावर परगना (जिला देहरादून) राजस्व पदाधिकारियों का (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 एंव जौनसार बावर जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम,1956 की उत्तराखण्ड राज्य में आवश्यकता को देखते हुये दोनो अधिनियमों को उत्तराखण्ड राजस्व संहिता में रखे जाने की बात कही तथा राजस्व की उपसमिति को भी अवगत कराये जाने का आग्रह किया।
कृषि विभाग से सम्बन्धित उत्तर प्रदेश कृषि उधार अधिनियम, 1973, उत्तर प्रदेश कृषि रोगों एंव नाशक कीटों का अधिनियम, 1954 और भूमिहीन कृषि श्रमिक ऋण अनुतोष अधिनियम, 1975 (उ0प्र0) के सम्बन्ध में अध्यक्ष ने निर्देश दिये कि इन अधिनियमों के बारे में आयोग को जानकारी उपलब्ध करायें और इस सम्बन्ध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें जिससे कृषि संहिता बनाये जाने पर विचार किया जा सके।
बैठक में अवद्य उप समझौता अधिनियम, 1866, अवद्य सम्पदा अधिनियम, 1869, अवद्य तालुकदार अनुतोष अधिनियम, 1870, अवद्य विधि अधिनियम, 1876, अवद्य राजा की सम्पदा अधिनियम, 1887, अवद्य राजा की सम्पदा अधिनियम, 1888, अवद्य राजा की सम्पदा विधिमान्यकरण अधिनियम 1917, संयुक्त प्रान्त अधिनियम, 18़90 और शरणार्थियों को बसाने के लिये लैंड एक्वीजिशन (भूमि प्राप्त करने का एक्ट, 1948 (स0प्रा0) पर चर्चा के उपरान्त निष्कर्ष निकला कि उत्तराखण्ड राज्य में इन अधिनियमों की आवश्यकता प्रतीत न होने के कारण इससे सम्बन्धित यदि कोई विवाद किसी भी कोर्ट में लम्बित है तो इसकी जानकारी हेतु  समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर अगली बैठक में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के विधि आयोग के अध्यक्ष द्वारा निर्देश दिये गये, जिससे उक्त् अधिनियमों के निरसन सम्बन्धि निर्णय लिया जा सकें।
बैठक में पेयजल, सिंचाई एंव जलागम विभाग को उत्तर प्रदेश भूमि एंव जल संरक्षण अधिनियम 1963 और  कुमायॅू एंव गढ़वाल जल (संग्रह, संचय एंव वितरण) अधिनियम, 1975 अधिनियमों की पूर्ण जानकारी आयोग को उपलब्ध करावने के निर्देश दिये गये, जिससे इन अधिनियमों के सम्बन्ध में उचित कार्यवाही की जा सकें। आयोग द्वारा राजस्व परिषद् से आग्रह किया गया है कि राजस्व संहिता बनाये जाने हेतु उपसमिति द्वारा अब तक किये गये कार्यो का संक्षिप्त विवरण विधि आयोग को उपलब्ध करवाने का कष्ट करे जिससे आगे की कार्यवाही की जा सकें। इसके अतरिक्त बैठक में विधि आयोग की अगली बैठक दिनांक 3 सितम्बर 2019 को सम्भावित तिथि तय की गयी है। इस अवसर पर अध्यक्ष राज्य खनिज सम्पदा राज कुमार पुरोहित, उपराजस्व आयुक्त राजस्व परिषद् विप्रा त्रिवेदी, विशेषकार्याधिकारी विधायी एंव संसदीय कार्य आर0पी0 पन्त, सदस्य विधायी एंव संसदीय कार्य विकास चैहान आदि मौजूद रहे।

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