देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार के बजट को दिशाहीन व संकल्पविहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि बजट में जिन योजनाओं का जिक्र है, उनमें से 50 प्रतिशत कांग्रेस कार्यकाल की हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि बजट में जिन योजनाओं का जिक्र है, उनमें से 50 प्रतिशत कांग्रेस कार्यकाल की, 30 प्रतिशत केंद्रीय योजना व शेष 20 प्रतिशत योजनाएं विभिन्न विभागों की वार्षिक रिपोर्ट पर आधारित हैं। सरकार के कर रहित बजट के दावे को गलत बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही विभिन्न माध्यमों से राज्य के लोगों पर बिजली, पानी, राशन व सेस के जरिए 1300 करोड़ रुपये का भार डाल दिया है। यहां तक कि बजट में दिए गए आंकड़े भी विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा कि बजट में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों और बेरोजगारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों को दिए जाने वाले बजट में 18 से 20 प्रतिशत तक की कटौती की गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश की आबादी के 50 से 52 फीसदी लोग ओबीसी, एससी, एसटी व अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। समाज कल्याण विभाग इनके लिए योजना बनाता है। बजट भाषण में इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है। समाज कल्याण के बजट में तकरीबन 45 फीसद की गिरावट नजर आ रही है जो बेहद चिंताजनक है। महिला सशक्तिकरण व बाल विकास विभाग में भी 15 फीसद से अधिक की गिरावट है। यही नहीं, प्रदेश में औद्यानिकी का भी जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के संस्कृति विभाग का जिक्र भी बजट में नहीं किया गया है।