11 सदस्यीय दल कर रहा चारधाम पैदल यात्रा मार्ग पुनजीर्वित करने को सर्वे

28 अप्रैल को सर्वेक्षण पर निकला दल 30 मई को लौटेगा वापस
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उत्तराखण्ड की विष्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा के आरम्भ होने के ठीक पहले उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा नेहरू पर्वतारोहण संस्था, उत्तराखण्ड अंतरिक्ष केन्द्र तथा वन विभाग के सहयोग से चारधाम पैदल यात्रा मार्ग को पुनजीर्वित करने के उद्देश्य से एक 11 सदस्यीय दल को लगभग एक माह के सर्वेक्षण पर भेजा गया है। गत 28 अप्रैल 2019 को सर्वेक्षण पर निकला यह दल 30 मई को वापस लौटेगा।
सर्वेक्षण का उद्देश्य प्राचीन पैदल यात्रा मार्ग के स्थानीय प्रमुख पड़ावों/चटिटयों को पुनर्जीवित करते हुये स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। साथ ही वहां की जैव विविधता संपदा एवं संस्कृति का अभिलेखीकरण भी करना है। यात्रा को पैदल मार्ग पर प्रचलित किये जाने को जरूरी व्यवस्थायें सुनिश्चित करते हुये प्रचार-प्रसार की कार्यवाही भी की जायेगी। देहरादून से स्याना चटटी होते हुये यह दल पैदल मार्ग से यमुनोत्री पहुंचा और वहां से जानकी चटटीसीमा, दरवा पास, डोडीताल, संगमचटटी होते हुये 07 मई को गंगोत्री पहुंचेगा, जहां कपाट खुलने के पश्चात दल लाटा, बेलक, बूढ़ाकेदार, भैरों चटटी, घुत्तू, पंवाली कांठा, त्रिजुगीनारायण और गौरीकुंड होते हुये केदारनाथ पहुंचेगा।
यहां से श्वेत पर्वत, कलऊं, मंदानिया, द्वाराखाल, मार्कन्ड गंगा, काश्नी खर्क, ग्लेशियर कैम्प होते हुए नीलकंठ बेस से दल 29 मई को बद्रीनाथ पहुचेगा। दल में एन0आई0एम0 के प्रधानाचार्य कर्नल बिष्ट के अतिरिक्त 04 प्रशिक्षक वन विभाग, एस0डी0आर0एफ0के एक-एक प्रतिनिधि तथा एक भू-वैज्ञानिक आदि शामिल हैं। मार्ग में सर्वेक्षण दल विभिन्न स्थानों पर कैम्पों में रात्रि विश्राम करेगा। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य चारधाम, पैदलयात्रा मार्गके पुराने पड़ावों, चटिटयों तथा कैम्पों को पुनर्जीवित करना है। ऐसा होने से आस्था के इन प्रतीकों पर अधिक श्रद्धालुाओं को पैदल मार्ग की यात्रा के लिए आकर्शित किया जा सकेगा। जिससे कि भविष्य में इन मार्गों केनिकट रहने वाले स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इस प्रकार धार्मिक और साहसिक पर्यटन को नये मिश्रित स्वरूप में परोसा जा सकेगा, इससे पर्यटकों को जहां साहसिक पर्यटन के अवसर मिलेंगे वहीं धार्मिक आस्था के इन प्राचीन केन्द्रों से जोड़ने वाले पैदल मार्गों को एक नई पहचान मिलेगी।

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