देहरादून, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। बस्ता रहित दिवस पर स्कूलों में मुख्यतः तीन प्रकार के कार्य/गतिविधियों का संचालन किया जायेगा जिसमें जैविक रूप, मशीन और सामग्री तथा मानवीय सेवाएं शामिल हैं।
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जैविक रूप की गतिविधियों में छात्र-छात्राओं को मृदा प्रबंधन और मिट्टी के प्रारम्भिक कार्य तथा कृषि/बागवानी की विभिन्न पद्धतियां सिखाई जायेगी। इसी प्रकार मशीन और सामग्री के अंतर्गत छात्रों को कागज, लकड़ी, मिट्टी, कपड़ा, पेंट, स्याही जैसी सामग्रियों का उपयोग करके हस्तशिल्प कार्य तथा आधुनिक मशीनों सहित प्रारम्भिक मशीनों का उपयोग करना बताया जायेगा जबकि मानवीय सेवाओं के तहत कुशल संवाद की अभिरूचि और टीमों में काम करने की योग्यता, स्वास्थ्य देखभाल और आतिथ्य के आधार सहित बुनियादी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी कौशल सिखाया जायेगा।
इसी प्रकार माध्यमिक विद्यालयों में जैविक रूप कार्यों के तहत प्रकृति अनुकूल कृषि, प्रकृति संरक्षण/ पुनर्स्थापना, नर्सरी प्रबंधन, पशुधन पालन, वित्तीय सेवाएं, सौन्दर्य और व्यक्तिगत देखभाल एवं उद्योग संबंधी जानकारियां छात्र-छात्राओं को प्रदान की जायेगी। मशीन व सामग्री के तहत छात्रों को सिलाई, बढ़ईगिरी, वेल्डिंग और कास्टिंग, मिट्टी के बर्तन, स्थानीय कला व रोबोटिक मशीनिंग का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसी प्रकार मानवीय सेवाओ के तहत छात्रों को स्वास्थ्य देखभाल, बिजली का काम, परिवहन सेवाएं, विक्रय और विपणन, आतिथ्य और पर्यटन, इंटरमीडिएट सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी कौशल का प्रशिक्षण दिया जायेगा।