देहरादून, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। 2015 में मुंबई में बद्रीनाथ मंदिर बनाए जाने को लेकर कांग्रेस पर लगाए भारतीय जनता पार्टी के आरोप भाजपा को ही कटघरे में खड़ा करते है, यह कहना है कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।
दसौनी ने कहा कि सर्वप्रथम तो मुंबई में बद्रीनाथ धाम का नहीं किसी मंदिर का नाम बद्रीनाथ रख दिया गया, किसी ने विरोध नहीं किया क्योंकि कांग्रेस के नेताओं के द्वारा उस वक्त यह नहीं कहा गया कि जो बद्रीनाथ नहीं जा सकता वह यही मुंबई में ही बद्रीनाथ बाबा के दर्शन कर ले ,जबकि केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर के शिलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री धामी द्वारा स्वयं यह बात कही गई कि जो बाबा केदार नहीं पहुंच पाएगा वह उनके दर्शन बौराडी,दिल्ली में ही कर सकता है और तो और मुख्यमंत्री धामी ने शिलान्यास करते वक्त यह तक कह दिया कि उत्तराखंड में तो बाबा केदार के दर्शन कुछ ही महीने होते हैं दिल्ली में तो बारह महीने केदारनाथ धाम के दर्शन हो सकेंगे।
यदि 2015 में मुंबई में बद्रीनाथ मंदिर का शिलान्यास किया गया तो फिर तो भारतीय जनता पार्टी से और भी बड़ा पाप हो गया उसने अपनी विपक्ष की जिम्मेदारी को सजगता और गंभीरता से नहीं निभाया। दसौनी ने कहा कि विपक्ष का काम ही होता है सरकार को सही दिशा देना उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों पर उसको चेताना परंतु तब भाजपा ने अपना विपक्ष धर्म ठीक से नहीं निभाया और मूकदर्शक बनी रही। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस ने किया उसे दोहराकर भाजपा क्या साबित करना चाहती है? भाजपा तो स्वयं को पार्टी विद द डिफरेंस कहती है। उन्होंने कहा कि आज चौतरफा धामी सरकार की निंदा हो रही है। एक तरफ जहां तीर्थ पुरोहितों ने धामी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद जी महाराज ने भी इसका विरोध किया है।
दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के इस कृत्य से उत्तराखंड के तीर्थाटन को व्यापक स्तर पर ठेस पहुंची है नुकसान हुआ है और उनके इस कदम से प्रदेश के 15 से 20 लाख लोगों की आजीविका पर चोट पहुंची है। गरिमा ने कहा कि देश-विदेश से श्रद्धालु अत्यंत कष्ट झेल कर इन चार धामों की यात्रा करने आते हैं भाजपा सरकार के इस कृत्य से हमारे धर्मों का आध्यात्मिक महत्व को कम करने का कुत्सित प्रयास अक्षम्य है, सनातनियों की भावना को ठेस पहुंची है। दसौनी ने कहा कि हमारे धामों का अपना एक पौराणिक और धार्मिक महत्व है। धामों के साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति और अधिकार किसी को नहीं है,चाहे सरकार किसी की भी हो। दसौनी ने कहा कि गौरतलब यह भी है की निंदा धामी सरकार की हो रही है और सुई बीकेटीसी को चुभ रही है। आज अचानक बीकेटीसी सरकार के बचाव में तैनात दिख रही है, काश इतनी ही सतर्कता बीकेटीसी ने केदारनाथ धाम के सोना पीतल होते समय दिखाई होती। गरिमा ने कहा कि यह चारों धाम समूचे उत्तराखंड के हैं पूरे देश के हैं इनका अपना एक गौरवशाली इतिहास है इसलिए अपनी राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए उनका दोहन सहन नहीं होगा और भारतीय जनता पार्टी को इस पाप की कीमत चुकानी होगी।