– कांग्रेस बराबरी का चुनाव न लड़ पाए, इसलिए खाते किए गए सीज,
– सरकार के चुनावी खर्च का नहीं है कोई हिसाब: करन
देहरादून, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी की हिटलरशाही, चुनावी बॉड के नाम पर किये गये महा भ्रष्टाचार तथा लोकसभा चुनाव में परेशान करने की नीयत से कांग्रेस पार्टी के खाते सीज कराये जाने की कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
काँग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान करन माहरा ने कहा कि 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। भारत पूरी दुनिया में अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों के लिए जाना जाता है तथा लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव होना जरूरी है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई निकलकर सामने आई है। लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर होने चाहिए। एक दल की मोनोपॉली नहीं चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी बराबरी से चुनाव ना लड़ पाए इसलिए हमारे खाते सीज कर दिए गये हैं। सारे नियम कायदों के विरूद्ध कांग्रेस पार्टी के चुनाव लड़ने में बाधा उत्पन्न करने के लिए 106 प्रतिशत पैनल्टी किस मामले में लगाई गई यह समझ से परे है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी पर 14 लाख 40 हजार की अनियमितता के मामले में आयकर विभाग ने इसमें 106 प्रतिशत पेनल्टी (210 करोड़ रुपए) लगा दी है जबकि नियमों के अनुसार इस पर ज्यादा से ज्यादा 10 हजार रुपए तक का जुर्माना लिया जा सकता था. लेकिन हमारा 210.25 करोड़ का फाइन मार्क कर दिया गया। इतना ही नहीं, आयकर विभाग द्वारा हमारे बैंक खातों से 115 करोड़ रुपए जबरन ट्रांसफर भी करवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला 2018-2019 के इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस को 31 दिसंबर 2019 तक अपने अकाउंट से संबंधित जानकारी आयकर विभाग को देनी थी. उस समय 40-45 दिन लेट रिटर्न सब्मिट किया था। आमतौर पर भी लोग 10-15 दिन लेट हो जाते हैं. ऐसे में छूट नीति का लाभ कांग्रेस को भी दिया जाना चाहिए था, लेकिन, आयकर विभाग ने कांग्रेस से पेनल्टी के तौर पर 210 करोड़ की रिकवरी मांगी है। कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में एन-केन-प्रकारेण रोकने का खेल खेला जा रहा है। 2018-19 के चुनावी वर्ष में कांग्रेस के 199 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. उसमें से 14 लाख 40 हजार (सिर्फ 0.07 प्रतिशत) रुपए कांग्रेस के सांसद और विधायकों ने अपने वेतन का हिस्सा जमा करवाया था. ये पैसे कैश में जमा कराये गये थे। कैश में पैसा आने की वजह से आयकर विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगा दी है।
श्री करन माहरा ने कहा कि आज चारों तरफ भाजपा के ही विज्ञापन लगे हैं, उसमें भी मोनोपोली हो रही है. बीजेपी के हर जगह फाइव स्टार दफ्तर हैं. सरकार के चुनावी खर्चे का कोई हिसाब नहीं है. बीजेपी ने कभी खाते की डिटेल्स नहीं दी है. सिर्फ विपक्षी दल से खाते की जानकारी चाहते हैं। बीजेपी कभी टैक्स नहीं देती है, लेकिन हमसे मांगती है। जो लोग सत्ता में हैं उनका संसाधनों पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए. सत्ता में बैठे लोगों का ईडी, सीबीआई, आईटी जैसी एजेंसियों पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि हमारे फ्रीज खातों को बहाल किया जाए. हमारा खाता फ्रीज करना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इशारे पर की गई इस प्रकार की कार्रवाई भारत के लोकतंत्र पर हमला है. खाते फ्रीज होने से कांग्रेस अपने फंड का उपयोग नहीं कर पा रही है। चुनाव लड़ने से रोकने के लिए 30-35 साल पुराने मामले खंगाले जा रहे हैं. हम अपने बैंक में जमा 285 करोड़ रुपए का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। साल 1994-95 का नोटिस कांग्रेस पार्टी के पास आया. तथा आयकर अधिकारियों द्वारा हमारे खातों से जबरदस्ती 115 करोड़ रुपये बैंकों से ट्रांसफर करवा लिए गए हैं। कांग्रेस इस नोटिस की टाइमिंग पर सवाल उठा रही है. 30 साल पुराने असेसमेंट से जुड़ा मामला अब उठाया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूछना चाहती है कि सात साल पुराने केस में आज बैंक खाते कैसे फ्रीज किए जा सकते हैं? और अब एक्शन क्यों लिया गया है? हर राजनैतिक पार्टी माफी के दायरे में आती है तो सिर्फ कांग्रेस को क्यों चुना जा रहा है? हम देश की जनता और आप सबसे कहना चाहते हैं कि अगर आज समर्थन नहीं करेंगे तो लोकतंत्र जिंदा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी एक माह पहले भी सत्ताधारी दल के दबाव में हमारे सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए थे। कांग्रेस पार्टी इस देश की 20 प्रतिशत जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं। परन्तु हमारे नेता यात्रा नहीं कर सकते हैं, हम विज्ञापन नहीं दे सकते हैं। हम पर 200 करोड़ का जुर्माना लगाया जाना एक आपराधिक कृत्य है। अदालत और निर्वाचन आयोग को इसमें हस्तक्षेप कर भूमिका निभानी चाहिए। आज पूरे देश में कांग्रेस को कमजोर करने के लिए सब कुछ किया जा रहा है। हमारे बैंक खाते फ्रीज नहीं किए गए, बल्कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के इशारे पर भारतीय लोकतंत्र को फ्रीज करने का षडयंत्र किया जा रहा है। कांग्रेस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा एक व्यवस्थित प्रयास किया जा रहा है। जनता और कार्यकर्ताओं द्वारा एकत्रित किया गया पैसा रोक दिया गया है। इसके बावजूद ऐसी विकट परिस्थितियों में भी हम अपने चुनाव अभियान की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चुनावी बॉन्ड का मामला है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. सभी जानते हैं कि जांच एजेंसियों ने बीजेपी को बड़े पैमाने पर फायदा पहुंचाया है. दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल की वित्तीय स्थिति पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. यह सब अलोकतांत्रिक है।
श्री करन माहरा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री अपने 10 वर्ष की उपलब्धियों पर नहीं बल्कि देश की संवैधानिक संस्थाओं के बल पर लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है क्योंकि प्रधानमंत्री ने इन 10 वर्षों के कार्यकाल में केवल अपने मन की बात कही और करी जनता के मन की बात न तो सुनी और न ही करी। अब जनता मोदी सरकार से 10 सालों का हिसाब मांग रही है तो जनता को भ्रमित करने के लिए इस प्रकार के षड़यंत्र किये जा रहे हैं परन्तु जनता समझ चुकी है तथा भाजपा के मंसूबे कभी पूरे नहीं होने देगी।