देहरादून, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। विगत ३१ जुलाई से केदार घाटी में केदार मंदिर मार्ग के विभिन्न स्थानों पर हो रहे जबरदस्त भूस्खलन , भू धसाव चट्टानों का खिसकना आने वाले समय में किसी बड़ी आपदा का संकेत है यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि कल रविवार को भीमबली में जिस प्रकार से पूरी पहाड़ जंगल समेत मंदाकिनी में समा गया और उससे मंदाकिनी का प्रवाह रुक गया यह भविष्य में केदारपुरी जहां नव निर्माण के नाम पर अंधाधुंध भारी निर्माण किया जा रहा है वहां किसी बड़ी आपदा का संकेत दे रहा है। श्री धस्माना ने कहा कि पूरी केदारपुरी सरस्वती व मंदाकिनी नदियों के तट पर बसी है और उस जगह जिस प्रकार के भारी निर्माण किए गए है जो अभी भी जारी हैं वह उस भूमि की भार क्षमता को नजरंदाज कर के किए जा रहे हैं जो खतरनाक हैं ।
उन्होंने कहा की निर्माण के लिए आवश्यक रेत बजरी बोल्डर के लिए आदि गुरु शंकराचार्य जी के समाधि स्थल के ठीक पीछे खनन करने से वहां ग्लेशियर पिघल गए और उस घाटी क्षेत्र में जिस प्रकार से बड़ी मशीनें और पेट्रोल डीजल के वाहन चलाए जा रहे हैं वे भी वहां के भू गर्भीय स्थितियों के अनुकूल नहीं है। श्री धस्माना ने कहा कि इस बरसात में सोनप्रयाग से लेकर पूरे मंदिर रूट पर जिस प्रकार से तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है वह एक बार फिर २०१३ की यादों को ताजा कर रहा है और केंद्र व राज्य सरकार को इस पर सतर्क हो जाना चाहिए और आगे निर्माण करने से पूर्व पूरे केदार घाटी का भूगर्भीय सर्वेक्षण वैज्ञानिक तरीके से करवाना चाहिए।