देहरादून, (गढ़वाल का विकास न्यूज)। कैंसर से ग्रसित मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित दूसरी रेडियोथैरेपी मशीन स्थापित की गई है। संस्थान में एक अन्य अतिरिक्त मशीन के स्थापित होने से कैंसर पीड़ित मरीजों को अब रेडियोथैरेपी के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। खासबात यह है कि देशभर के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में एम्स ऋषिकेश में ही उच्च तकनीक की हेल्सियोन मशीन स्थापित की गई है।
एम्स ऋषिकेश में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सहयोग से लोएनर्जी लीनियर एक्सेलरेटर मशीन स्थापित की गई है। जिसका हाल में संस्थान के प्रेसिडेंट प्रोफेसर समीरन नंदी ने विधिवत लोकार्पण किया । गौरतलब है कि कैंसर के उपचार में विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। लिहाजा यहां उत्तराखंड के अलावा उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, बिहार, मध्य प्रदेश आदि प्रांतों के कैंसर ग्रसित मरीज विकिरण चिकित्सा के लिए आते हैं, जबकि अब तक संस्थान के पास इस चिकित्सा की महज एक मशीन उपलब्ध थी, लिहाजा मरीजों की संख्या अत्यधिक होने से उन्हें रेडियोथेरेपी के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था। ऐसे में एम्स ऋषिकेश में अब अत्याधुनिक तकनीकि सुविधाओं से लैस नयी हेल्सियोन मशीन स्थापित होने प्रतिदिन पहले से कहीं अधिक मरीजों का उपचार संभव हो सकेगा।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने बताया कि एम्स ऋषिकेश देश का पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए यह हेल्सियोन मशीन स्थापित की गई है। उन्होंने कहा उत्तराखंड और समीपवर्ती राज्यों के लोगों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना एम्स की प्राथमिकता है, जिसके लिए संस्थागत स्तर पर लगातार कार्य किया जा रहा है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि रेडियोथैरेपी की सुविधा को बढ़ाते हुए भविष्य में उच्च तकनीक आधारित अन्य मशीनों को भी संस्थान में स्थापित किया जाएगा। जिससे गरीब पृष्ठभूमि के मरीजों को कैंसर जैसी जटिल बीमारी के इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़े। निदेशक प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि एम्स में शीघ्र ही एक एडवांस ओंकोलाॅजी सेंटर की स्थापना की जाएगी, जो कि पर्याप्त संख्या में रेडियोथैरेपी उपकरणों से सुसज्जित होगा।
इस बाबत संकायाध्यक्ष अकादमिक व रेडियोथैरेपी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता जी ने बताया कि विभाग में नई मशीन स्थापित होने से अब प्रतिदिन लगभग 160 मरीजों की रेडियोथैरेपी की जा सकेगी। जबकि पूर्व में संस्थान में एक मशीन होने से प्रतिदिन करीब 80 मरीजों की ही रेडियोथैरेपी हो पाती थी। उन्होंने बताया कि नवीनतम तकनीक पर आधारित इस मशीन कैंसर के मरीजों में ट्यूमर को केंद्रित कर विकिरण के माध्यम से न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ उपचार करने में आसानी होगी। जिससे मरीज को साईड इफेक्ट भी नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि संस्थान में 15 करोड़ लागत की इस मशीन को स्थापित करने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा सीएसआर मद के तहत 10 करोड़ रुपए का सहयोग किया गया है।