अब आ गई लाडली, पवनकली की विरासत सम्भालने
हरिद्वार/देहरादून, (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उसकी मतवाली चाल को सम्भालने और उसे नियंत्रित करने को तैनात किये गये हैं अर्द्धसुरक्षा बल के कई जवान और साथ ही चल रही है एक डाक्टर।
आईये जानते हैं वो कौन है जो कुंभ मेले में इतनी विशिष्ट अतिथि है। कुम्भ मेलों में जहां अलग अलग अनोखे साधू, श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण के केन्द्र होते हैं वहीं अखाड़ों की पेशवाईयों और शाहियों में सज-धज कर चलने वाले हाथी घोड़ों ऊंटों का अपना अलग ही आकर्षण होता है।
वो चंचल मटकती आंखों वाली पवनकली को कोई भूला नहीं है। अगर इस कुंभ में पवनकली की बात न की जाय, उसे याद न किया जाय तो पवनकली के प्रति अन्याय होगा। क्योंकि पवनकली कुंभ मेलों की वर्षों से रानी थी, पिछले साल पवनकली मार्च महीने में बिमारी के उसकी कारण मौत हो गई। संतों ने भी पवनकली को सन्यासिनी की उपाधि देकर भू समाधि दी है।
लेकिन इस कुंभ में पवनकली की विरासत संभालने आ पहुंची है, मुजफ्फर नगर की लाडली। युवा लाडली कुंभ मेले की पेशवाईयों में सबसे आगे आगे चलती हुई दर्शकों और श्रद्धालुओं को लुभा रही है। लाडली अभी ऐसे वातावरण की पूरी तरह आदी नहीं है। हालांकि इलाहाबाद कुंभ में भी लाडली ने प्रतिभाग किया। पर अभी लाडली को नियंत्रित करने के लिए तीन महावत, अर्द्ध सैनिक बलों के कई जवान तैनात किए गए हैं, और साथ ही तैनात है एक वैटेनरी डाक्टर।
वैटेनरी डाक्टर दीप्ति अरोडा का कहना है कि सुरक्षा उपायों के साथ लाडली को कुंभ में लाया गया है। लाडली की देखभाल और सुरक्षा उपाय के लिए विशेष प्रबन्ध किये गये है। बहरहाल पवनकली की कमी हालांकि कुंभ में संतों, अखाड़ों को बहुत खल रही है लेकिन लाडली ने इस कमी को पूरा करने का भरसक प्रयास किया है।