– हिंदी पत्रकारिता दिवस पर उत्तराखंड पत्रकार महासंघ ने किया कार्यक्रम का आयोजन,
– जनपद देहरादून की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने भी ली शपथ
देहरादून, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। पत्रकारों को जनसंवेदनाओं के साथ जुड़कर काम करना चाहिए और क्या लिखना है, किसके लिए लिखना है, क्यों लिखना है। इस पर चिन्तन करना चाहिए। यह कहना है वरिष्ठ स्तम्भकार और पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय का।
आईआरडीटी प्रेक्षागृह में उत्तराखंड पत्रकार महासंघ द्वारा हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ‘वर्तमान परिपेक्ष में पत्रकारिता की चुनौतियां और समाधान’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में पांचजन्य के पूर्व सम्पादक तरुण विजय ने खुद को विषय के जोड़ते हुए कहा कि जब तक प्राण है तब तक चुनौतियां है। निष्प्राण को चुनौती नहीं होती। पत्रकारिता के सामने चुनौती का अर्थ है कि उसमे प्राण है। उन्होंने कहा कि सत्य की आराधना करने वाले पत्रकार के लिए हमेशा चुनौती रही है। सत्ता के लिए लिखने वालों के लिए कोई चुनौती नही है लेकिन इन सबके बीच पत्रकारों को जनसंवेदनाओं के साथ जुडकर अपना दायित्व निभाना चाहिए। जनसंवेदनाओं के साथ जुडकर लिखने वालों की समाज में विश्वसनीयता है जो पत्रकारिता के लिए बहुत आवश्यक है।
इससे पहले मुख्य वक्ता और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर महासंघ द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में महासंघ की नवनिर्वाचित देहरादून जनपद की कार्यकारिणी को शपथ भी ग्रहण करायी गयी। इसके अलावा पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों अनुपम त्रिवेदी, ज्योत्सना बौंठियाल, चन्द्र शेखर बुडाकोटी, केदार दत्त, राकेश खंडूडी, राजेश बहुगुणा, नरेश रोहिला, सुभाष कुमार को सम्मानित किया गया। इस अवसर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और डीएवी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा देवेन्द्र भसीन, वरिष्ठ पत्रकार राम प्रताप मिश्र साकेती, रविन्द्र नाथ कौशिक मौजूद रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन राष्ट्रीय कवि और डीएवी कालेज में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डा राम विनय सिंह ने किया। अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तराखंड पत्रकार महासंघ के केन्द्रीय अध्यक्ष निशीथ सकलानी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।