देहरादून। भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्य की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार पर प्रदेश पर 45 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ाने के आरोप का कांग्रेस ने जवाब दिया है। कांग्रेस ने अब तक की सभी सरकारों द्वारा लिए गए कर्ज का ब्योरा देते हुए कहा है राज्य पर भाजपा ने कांग्रेस की बनिस्पत बहुत ज्यादा कर्ज का बोझ चढ़ाया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संजय भट्ट का कहना है कि उत्तराखंड जब उत्तर प्रदेश से अलग हो कर नया राज्य बना तो उसे उप्र से विरासत में 4 हजार करोड़ का कर्ज मिला और साथ में मिली 16 महीने की भाजपा सरकार जिसके दोनों मुख्यमंत्रियों स्व. नित्यानन्द स्वामी और भगत सिंह कोश्यारी ने तीन हजार करोड़ का कर्ज और ले कर कुल कर्ज 7 हजार करोड़ कर दिया। 2002 के चुनाव के बाद कांग्रेस की नारायण दत्त तिवारी सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया और उत्तराखंड का कुल कर्ज 2007 तक 12 हजार करोड़ हो गया। 2007 के चुनाव में उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनी और भुवन चंद खंडूड़ी और रमेश पोखरियाल निशंक और फिर से भुवन चंद खंडूड़ी की सरकार रही। इन सरकारों ने 5 साल में 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया। 2012 तक उत्तराखंड पर कुल कर्ज 37 हजार करोड़ रुपये हो गया था। 2012 के चुनाव में फिर से कांग्रेस ने वापसी की और विजय बहुगुणा और हरीश रावत मुख्यमंत्री बने। इस दौरान 5 साल में कुल 7.5 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया। 2017 में भाजपा के फिर सत्ता में आने तक प्रदेश पर कुल कर्ज 42.5 हजार करोड़ हो गया है। संजय भट्ट का कहना है कि इससे साफ है कि6 साल 6 महीने की भाजपा सरकारों ने उत्तराखंड को 28 हजार करोड़ के कर्ज में धकेला जबकि कांग्रेस की 10 साल की सरकार ने मात्र 12.5 हजार करोड़ का कर्ज ही उत्तराखंड के लिए लिया।उन्होंने कहा कि जहां भाजपा हरीश सरकार पर प्रदेश को कर्ज में डुबो देने का इल्जाम लगा कही है, वहीं उसकी सरकार अपने बजट में साफ कह रही है कि पिछली कांग्रेस सरकार में जो कर्ज लिया, वो राज्य की कर्ज सीमा के अंदर ही था। यानी प्रदेश सरकार अभी और कर्ज ले सकती है। उनका कहना है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट व तमाम भाजपा नेताओं का यह आरोप कि कांग्रेस ने उत्तराखंड को कर्ज में डुबो दिया और सरकार का कहना कि कर्ज सीमा में है भाजपा की के चाल, चरित्र और चेहरे की हकीकत को दिखाता है।